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अतिरिक्त मुआवजा वितरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई एसआईटी की टीम एक बार फिर प्राधिकरण पहुंची। यहां टीम ने किसानों को जमीन देने से लेकर आवंटन तक की जानकारी मांगी। वे आवंटन की पूरी कार्यप्रणाली से वाकिफ हुए। इसके बाद प्रॉपर्टी डिपार्टमेंट का फिजिकल निरीक्षण भी किया। इस दौरान 1976 से लेकर 2017 तक मुआवजा से संबंधित भी कई फाइलों की नोट शीट मांगी गई। इन फाइलों की समरी बनाकर एसआईटी को भेजा जाएगा। इससे पहले 31 फाइल और बाद में 16 फाइल मांगी गई थी। ये पूरा मामला गेझा तिलपता बाद , भूड़ा गांव से जुड़ा 100 करोड रुपए से अधिक के राजस्व नुकसान से है। Greater Noida Authority | greater noida
दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी एसआईटी की जांच को दरकिनार करते हुए हाईकोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में जांच के आदेश दिए थे। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अगुवाई में एक तीन सदस्य कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को दोबारा से इस पूरे प्रकरण की जांच करनी है। इस सिलसिले में टीम प्राधिकरण पहुंची और जांच शुरू की। इस टीम के जांच अधिकारी यूपी कैडर के तो है लेकिन उनकी पोस्टिंग यहां नहीं हुई है।
दरअसल, पुरानी एसआईटी की टीम ने जो जांच रिपोर्ट बनाई थी। उसमें दो याचिकाकर्ता अधिकारियों की संलिप्तता को दिखाया था। लेकिन कोर्ट ये मानने को तैयार नहीं है प्राधिकरण का कोई अन्य अधिकारी सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग और गबन में शामिल नहीं पाया गया है। कोर्ट ने ये भी कहा था अतिरिक्त मुआवजा पाने वाले किसी भी किसान के साथ प्राधिकरण कोई जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता। न ही भविष्य में होने वाली एफआईआर में उनके नाम शामिल कर सकता है।
नोएडा प्राधिकरण में मुआवजा वितरण मामले में पुरानी एसआईटी की टीम ने 180 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में तीन अधिकारियों ने मिलकर प्राधिकरण को करीब 117 करोड़ 56 लाख 95 हजार 40 करोड़ रुपए राजस्व का नुकसान पहुंचाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एसआईटी ने नोएडा प्राधिकरण में 1 अप्रैल 2009 से 2023 तक कुल 15 सालों के मुआवजा वितरण संबंधित कुल 1198 फाइलों को खंगाला। जिसमें कुल 20 मामलों में अनियमितता मिली। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में शुरुआत में 12 और बाद में 8 नए प्रकरण सामने आए थे।