नोएडा, वाईबीएन नेटवर्क
नोएडा में स्पोर्टस सिटी परियोजना के तहत बिल्डरों को आवंटित भूखंडों की नेट वर्थ और टर्नओवर के मानक इतने कम थे कि उनके आधार पर उक्त भूखंडों का आवंटन करना संदेहास्पद था। Comptroller and Auditor General (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को स्पष्ट किया कि जिन कंपनियों को यह भूखंड आवंटित किए गए, उनकी नेट वर्थ प्रस्तावित भूमि के मूल्य से 10 से 18 गुना कम थी। वहीं, सीएजी ने इस मामले में कोर्ट से जांच के लिए सीबीआई और ईडी को आदेश देने की अपील की।
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नेट वर्थ और टर्नओवर मानक में ढील
सीएजी ने बताया कि स्पोर्टस सिटी योजना के लिए सलाहकार कंपनी ग्रॉट थार्नटन ने सुझाव दिया था कि सिर्फ वही कंपनियां इस योजना में आवेदन कर सकती हैं जिनकी नेट वर्थ लगभग 100 करोड़ और टर्न ओवर 400 करोड़ हो। लेकिन प्राधिकरण ने इन मानकों को घटाकर नेट वर्थ 80-125 करोड़ और टर्न ओवर 200 करोड़ कर दिया। इससे साफ तौर पर प्रतीत होता है कि नियमों में ढील दी गई, जिसका सीधा फायदा कुछ कंपनियों को हुआ।
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भूमि लागत से 18 गुना कम नेटवर्थ
सीएजी ने यह भी खुलासा किया कि जिन सेक्टरों में भूमि आवंटित की गई थी, उनकी लागत अत्यधिक थी। उदाहरण स्वरूप, सेक्टर-78, 79 में भूमि की लागत करीब 836.62 करोड़ रुपये और सेक्टर-150 में यह 2263.80 करोड़ रुपये थी। ऐसे में इन क्षेत्रों में आवंटित कंपनियों की नेट वर्थ भूमि लागत से 10 से 18 गुना कम थी, जो न सिर्फ वित्तीय दृष्टि से असंगत था, बल्कि इससे संबंधित योजनाओं के लिए आवश्यक निवेश को भी नजरअंदाज किया गया।
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प्राधिकरण का आर्थिक मंदी का तर्क
प्राधिकरण ने इस कदम का बचाव करते हुए बताया कि 2008 के आरंभ में स्पोर्टस सिटी योजना में कोई आवेदन नहीं आया था, और इसलिए आर्थिक मंदी के प्रभाव को देखते हुए नेट वर्थ और टर्नओवर के मानकों में आंशिक संशोधन किया गया था। लेकिन सीएजी ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि आर्थिक मंदी का कारण योजना में मानकों को ढीला करने के लिए आधार नहीं बन सकता था, क्योंकि योजना को आकर्षक बनाने के लिए वित्तीय ताकत वाली कंपनियों को शामिल किया जाना चाहिए था।
अधूरी योजना और लाभ का सवाल
यह योजना 15 साल बाद भी अधूरी पड़ी हुई है, और इसका प्रमुख कारण यह है कि बिल्डरों को अनुचित लाभ देने के उद्देश्य से यह मानक कम किए गए थे। यह कदम करीब 9000 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ का कारण बना, जो पूरी परियोजना की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।