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ग्रेटर नोएडा, वाईबीएन डेस्क। केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के भारतीय संस्कृति वैश्विक केंद्र एवं ह्यूमैनिटीज और सोशल साइंसेज संकाय और अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र (ICCS) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित स्वदेशी पुनरुत्थान की दिशा में औपनिवेशिक बुनियादी ढांचे को खत्म करने के विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद विदेशों में रह रहे लोग अब गर्व से कहते है कि हम भारतीय हैं और वे हिंदी में बात करने से नहीं कतराते हैं।
देश की जड़ें मजबूत हों तो कोई हिला नहीं सकता
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिस देश की जडे़ं मजबूत होंगी उसे कोई हिला नहीं सकता और देश विश्व गुरु बन सकता है। उन्होंने कहा कि हम अपनी संस्कृति को खोते जा रहे हैं और विदेशी कल्चर को अपनाते जा रहे हैं। युवा अपने गांव का नाम नहीं बता पाते, लेकिन विदेशों के शहरों के नाम उन्हें बेखूबी याद रहते हैं। भारत की सभ्यता बहुत पुरानी है और मजबूत भी है। हमें अपनी मातृभाषा को बचाने के लिए जोर देना पड़ता है। सफलता तब होती है जब बाहर के लोग आपसे जूड़े।
विवि के चांसलर पी.के. गुप्ता को बधाई दी
रिजिजू ने कहा कि विश्वविद्यालय में दूसरी बार आया हूं यह सुंदर और बड़ा है। मैं विश्वविद्यालय के चांसलर पी.के. गुप्ता की सोच के लिए बधाई और सराहना करता हूं कि वह भारतीय संस्कृति से चल रहे है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के चांसलर पी.के. गुप्ता ने कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए सभी को एकजुट होकर आगे आना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा देशों में हमारे भारत की कल्चर के बारे बताना चाहिए। दुनिया भर के स्वदेशी लोग सक्रिय रूप से अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं को बहाल कर रहे हैं। अपनी पैतृक विरासत से फिर से जुड़ रहे हैं और सामुदायिक लचीलापन का पुनर्निर्माण कर रहे हैं। देश की प्रगति, ईमानदारी और उसकी संस्कृति पर टिकी है। विश्वविद्यालय में छात्रों अपने प्रदेश की संस्कृति के बारे बताना चाहिए।
गुप्ता ने कहा, लड़कियों को शिक्षित करना जरूरी
गुप्ता ने कहा कि बच्चे के लिए सबसे पहली गुरु मां होती है। इसके लिए लडकियों को शिक्षित करना और जॉब में रिजर्वेशन देना जरूरी है। इस दौरान डॉ. धनंजय सिंह, सदस्य सचिव, आईसीएसएसआर, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, डॉ सिबाराम खारा, कुलपति, शारदा विश्वविद्यालय, डॉ. अन्विति गुप्ता डीन, स्कूल ऑफ ह्यूमेनिटीज एंड सोशल साइंसेज एवं सम्मेलन के संयोजिका, डॉ. प्रशांत अर्वे, सह संयोजक,डॉ शशि बाला जी, इंडोलॉजिस्ट, अध्यक्ष, आईसीसीएस भारत, डीन, डॉ भुवनेश कुमार समेत विभिन्न विभागों के डीन और एचओडी मौजूद रहे।