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High Court News: बिना बिसरा रिपोर्ट चार्जशीट दाखिल करना गलत : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना बिसरा (विसरा) रिपोर्ट प्राप्त किए चार्जशीट दाखिल करने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। अदालत ने कहा कि अधूरी विवेचना कर मृत्यु के कारण का पता लगाए बिना पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल करना उचित नहीं है।

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Abhishek Panday
High Court

बिना बिसरा रिपोर्ट चार्जशीट दाखिल करना गलत : हाईकोर्ट

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना बिसरा (विसरा) रिपोर्ट प्राप्त किए चार्जशीट दाखिल करने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। अदालत ने कहा कि अधूरी विवेचना कर मृत्यु के कारण का पता लगाए बिना पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल करना उचित नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और प्रमुख सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) को निर्देश दिया है कि वे फोरेंसिक जांच रिपोर्ट विवेचकों को समय से उपलब्ध कराने की ठोस व्यवस्था करें ताकि जांच पूर्ण, उचित और प्रभावी हो सके। न्यायमूर्ति समित गोपाल की एकल पीठ ने फर्रुखाबाद निवासी रामरतन की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह आदेश दिया। रामरतन पर अपनी पत्नी प्रेमलता की दहेज हत्या का आरोप है। कोर्ट ने फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) से बिसरा रिपोर्ट जांच एजेंसियों तक पहुंचाने में हो रही देरी पर गहरी नाराजगी जताई और इसे “चिंताजनक” करार दिया।

कोर्ट ने लापरवाही पर जताई आपत्ति

अदालत ने कहा कि मृतका का विसरा फरवरी 2024 में झांसी स्थित प्रयोगशाला भेजा गया था, रिपोर्ट सितंबर 2024 में तैयार हुई, लेकिन जांच अधिकारी को यह रिपोर्ट फरवरी 2025 तक नहीं मिली। इसके बावजूद 13 सितंबर 2024 को चार्जशीट दाखिल कर दी गई और 11 नवंबर 2024 को उस पर संज्ञान भी ले लिया गया। न्यायमूर्ति गोपाल ने टिप्पणी की कि “यह तथ्य परेशान करने वाला है।” उन्होंने कहा कि फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को विसरा रिपोर्ट जांच एजेंसियों को शीघ्र भेजने की प्रणाली विकसित करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट के अभाव में जांच अधूरी रही और मृत्यु के कारण का निर्धारण निर्णायक रूप से नहीं किया जा सका। यह स्थिति न्यायिक प्रक्रिया के लिए गंभीर है। अदालत ने मुख्य सचिव, डीजीपी और स्वास्थ्य महानिदेशक को निर्देश दिया कि वे ऐसी व्यवस्था करें जिससे भविष्य में विवेचना अधिकारियों को विसरा रिपोर्ट बिना किसी विलंब के उपलब्ध हो सके। साथ ही, कोर्ट ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को आदेश दिया कि इस फैसले की प्रति एक सप्ताह के भीतर संबंधित अधिकारियों को भेजी जाए ताकि आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

मामले की एफआईआर मृतका प्रेमलता के भाई अटल बिहारी ने थाना मोहम्मदाबाद में दर्ज कराई थी। आरोप था कि प्रेमलता को उसके पति रामरतन, ससुर मुन्ना लाल और सास रानी देवी मोटरसाइकिल व एक लाख रुपये की दहेज मांग को लेकर प्रताड़ित करते थे। 4 फरवरी 2024 को प्रेमलता की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। उसके शरीर पर चोटों के निशान पाए गए थे।

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