Advertisment

High Court News: छल कपट ,तथ्य छिपाकर आदेश देना न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग -हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तथ्य छिपाकर लिए गए आदेश को वापस ले लिया है और इसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग करार दिया है। कोर्ट ने कहा याची स्वच्छ हृदय व सदाशयता से कोर्ट नहीं आया।

author-image
Abhishek Panday
High Court

हाईकोर्ट

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तथ्य छिपाकर लिए गए आदेश को वापस ले लिया है और इसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग करार दिया है। कोर्ट ने कहा याची स्वच्छ हृदय व सदाशयता से कोर्ट नहीं आया। कोर्ट के आदेश से घर से बेदखल होकर सड़क पर आये विपक्षी परिवार को तत्काल कब्जा वापस करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आदेश की प्रति गाजियाबाद के जिलाधिकारी व पुलिस कमिश्नर को भेजने का आदेश दिया। और याचिका की सुनवाई की अगली तारीख 9अक्टूबर नियत की है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ तथा न्यायमूर्ति पी के गिरी की खंडपीठ में विपक्षी गण की 28 अगस्त 2025 को पारित कोर्ट आदेश को वापस लेने की अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है। र्जी अधिवक्ता अवनीश त्रिपाठी ने दाखिल की थी।

हाईकोर्ट ने लिया पूर्व में पारित आदेश वापस

लिफ्ल होम फाइनेंस लिमिटेड ने सरफेसी एक्ट के तहत कार्यवाही में घर नीलाम में खरीदा। विपक्षी अधिवक्ता ने इस आदेश को वापस लेने की अर्जी दी। कहा आदेश तथ्य छिपाकर झूठ बोलकर लिया गया है। विपक्षी अधिवक्ता ने इस आदेश को वापस लेने की अर्जी दी। कहा आदेश तथ्य छिपाकर झूठ बोलकर लिया गया है। ऋण वसूली अधिकरण लखनऊ ने कब्जा लेने से पहले 15 दिन की नोटिस देने का आदेश दिया है। और कब्जे की कार्यवाही पर रोक लगा रखी है। याची ने झूठा हलफनामा दिया और कोर्ट से कपट किया है। यह भी लिखा कि ऋण लेने वाले ने कही कोई केस नहीं किया है। तथ्य छिपाकर आदेश लेने पर सुप्रीम कोर्ट के ही फैसले दिए। कोर्ट ने कहा डी आर टी लखनऊ का आदेश स्पष्ट है। याची ने तथ्य छिपाकर आदेश प्राप्त किया है। और अपना आदेश वापस ले लिया।

यह भी पढ़ें: 558 राजकीय सहायता प्राप्त मदरसों की जांच पर रोक

यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी मस्जिद में कथित वुजूखाना के सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका पर सुनवाई अब 7 अक्टूबर को

यह भी पढ़ें: आधी रात प्रेमिका से मिलने पहुंचा युवक, चोर समझकर पीट-पीटकर कर हत्या

Advertisment
prayagraj Prayagraj News
Advertisment
Advertisment