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प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, एटा की ओर से दिए गए 21.37 लाख रुपये मुआवजा न्यायसंगत है। स्थायी विकलांगता के मामलों में भविष्य की संभावनाओं के लिए क्षतिपूर्ति दी जा सकती है। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने मुआवजा राशि को चुनौती देने वाली बीमा कंपनी की अपील को खारिज कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति संदीप जैन की एकलपीठ ने दिया।
बीमा कंपनी ने मुआवजे की राशि को हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
एटा निवासी याची संजय कुमार 13 अक्तूबर 2021 को एक चार पहिया वाहन की टक्कर से गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उनका दाहिना पैर घुटने के ऊपर से काटना पड़ा। याची ने दावा अधिकरण में मुआवजे के लिए वाद दायर किया। अधिकरण ने 15 जुलाई 2025 को संजय कुमार को लगभग 21,37 लाख रुपये का मुआवजा 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित देने का आदेश दिया था। इसका भुगतान बीमा कंपनी को करना था। बीमा कंपनी ने मुआवजे की राशि को हाईकोर्ट में चुनौती दी। कहा कि दावेदार अपनी नौकरी और आय का उचित प्रमाण नहीं दे सका तथा अधिकरण ने गलत रूप से 40 प्रतिशत भविष्य की संभावनाएं जोड़ दीं। न्यायालय ने पाया कि दावेदार बिस्कुट फैक्ट्री में मजदूर के रूप में कार्यरत था और उसके 70 प्रतिशत स्थायी विकलांग होने के प्रमाण मौजूद हैं। कहा कि स्थायी विकलांगता के मामलों में भविष्य की संभावनाओं के लिए भी मुआवजा दिया जा सकता है। कोर्ट ने अधिकरण के फैसले को विधि और तथ्यों के अनुरूप माना और कहा कि इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अंततः, बीमा कंपनी की अपील खारिज कर दी गई।
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