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फाइल फोटो
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को चालकों और परिचालकों के खाली पदों की नियमित भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। कहा है कि अनुकंपा नियुक्तियां हर साल नियमानुसार की जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने अलीगढ़ की निधि शर्मा व कई अन्य की अनुकंपा नियुक्ति की मांग में दाखिल याचिका पर दिया है।
कहा आश्रित कोटे से सौ फीसदी नियुक्ति संविधान का उल्लघंन
याचियो का कहना था कि उन्हें अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाए। और उन शासनादेशों को रद्द किया जाए जिनके तहत एक साथ 1165 पदों पर अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई थी। तर्क दिया गया कि केवल मृतक आश्रितों की भर्ती करना एक तरह से 100 प्रतिशत आरक्षण देने जैसा है। यह संविधान के विरुद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की प्रक्रिया से निगम में नियमित भर्तियां नहीं हो पा रही हैं। याची निधि शर्मा के मामले में उनके पिता की मृत्यु 13 अगस्त 2006 को हुई थी। उनका आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के 5 साल बाद आवेदन किया था। कोर्ट ने याचियों की सभी मांगों को खारिज कर दिया। साथ ही पाया कि निधि शर्मा ने निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं किया था। कोर्ट ने यूपीएसआरटीसी में चालकों और परिचालकों की सीधी भर्ती कई सालों से न होने पर चिंता जताई। निर्देश दिया कि यदि पद खाली हैं तो वह सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू करे।
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