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High Court News: जमानत आदेश के बाद कोई कैदी एक दिन भी जेल में न रहे, हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को संविधान केअनुच्छेद 21के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मूल अधिकार प्राप्त है। बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी को भी इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

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Abhishek Panday
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फाइल फोटो Photograph: (google)

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को संविधान केअनुच्छेद 21के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मूल अधिकार प्राप्त है। बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी को भी इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा सजायाफ्ता या विचाराधीन कैदी को कोर्ट से मिली जमानत की तत्काल जानकारी दी जानी चाहिए। अदालती सिस्टम या सरकारी तंत्र की शिथिलता के कारण कोई भी कैदी एक दिन भी जेल में बंद रहने पाये। जमानत आदेश सीधे जेल प्राधिकारियों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाय।

आदेश कोर्ट से सीधे जेल अधीक्षक को भेजने की व्यवस्था पर अमल किया जाय

कोर्ट ने हाईकोर्ट की सी पी सी व एन आई सी नई दिल्ली को ई -प्रिजन पोर्टल के जरिए जमानत आदेश जेल अधीक्षक तक तत्काल पहुंचाने का निर्देश दिया है और कहा है कि हाईकोर्ट के जमानत व आपराधिक अपील अनुभाग में कैदी किस जेल में बंद हैं,उसकी जानकारी उपलब्ध कराई जाय। कोर्ट ने सभी अधिवक्ताओं को कहा है कि जमानत अर्जी में कैदी किस जेल में हैं,इसका उल्लेख करें।और रिपोर्टिंग अनुभाग को एक दिसंबर 25से इसकी रिपोर्टिंग करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पालिसी स्ट्रेटजी ग्रांट आप बेल मामले में जारी निर्देशों के हवाले से कहा कि अपर मुख्य सचिव गृह प्रतिभूति का इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन अदालत में ही करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करें। क्योंकि राजस्व व पुलिस विभाग में सत्यापन के नाम पर व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण कैदियों की रिहाई मे देरी हो रही है। कोर्ट ने महानिदेशक कारागार को भी सभी जेल प्राधिकारियों को निर्देश जारी करने का आदेश दिया है कि बी ओ एम एस के जरिए कैदी को प्राप्त जमानत आदेश की तत्काल जानकारी उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने थाना सैनी , कौशांबी के सोहराब उर्फ सोराब अली की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने याची की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। इसपर लड़की को भगा ले जाने का आरोप है। किंतु लड़की ने अपनी मर्जी से घर छोड़कर जाने का बयान दिया है। कोर्ट ने कहा जमानत मंजूर होने के बाद किसी कैदी को एक दिन भी जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। आदेश की जानकारी उसे तत्काल मिलनी चाहिए। इसलिए आदेश कोर्ट से सीधे जेल अधीक्षक को भेजने की व्यवस्था पर अमल किया जाय। कोर्ट ने संबंधित संस्थाओं को निर्देश जारी किए हैं।और फास्टर सिस्टम लागू करने का निर्देश दिया है।

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