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आठ वर्षों में 242 करोड़ वृक्षारोपण कर प्रदेश की हरियाली को नया जीवन मिला है। Photograph: (सोशल मीडिया)
प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता।प्रदेश सरकार की पर्यावरण संरक्षण और वन संवर्धन नीतियों के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश ने वन एवं वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गत आठ वर्षों में 242 करोड़ वृक्षारोपण कर प्रदेश की हरियाली को नया जीवन मिला है। चालू वर्ष में भी 37.21 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं, जिससे प्रदेश की हरीतिमा और वनावरण दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। प्राकृतिक संसाधनों में वनों की भूमिका को रेखांकित करते हुए विभागीय प्रवक्ता ने बताया कि वन न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं, बल्कि प्रदेश की संस्कृति, सभ्यता और विकास के प्रतीक भी हैं। प्रदेश का भौगोलिक क्षेत्र नौ कृषि जलवायु क्षेत्रों में भाबर व तराई, पश्चिमी मैदानी, मध्य पश्चिमी मैदानी, दक्षिण पश्चिमी अर्ध शुष्क, केन्द्रीय, उत्तर-पूर्वी, पूर्वी मैदानी, बुंदेलखंड और विन्ध्य क्षेत्र में विभाजित है, जिससे यहां जैव विविधता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
8 वर्षों में हुआ 242 करोड़ पौधों का वृक्षारोपण
प्रदेश की भौगोलिक और जलवायु विविधता के चलते यहां की पक्षी और वनस्पति संपदा अत्यंत समृद्ध है। शीतकाल में तिब्बत, चीन, यूरोप और साइबेरिया से लगभग 300 प्रवासी पक्षी प्रजातियां उत्तर प्रदेश की झीलों और नदियों में शीतकालीन प्रवास के लिए आती हैं। इनमें कई पक्षी 5000 किलोमीटर तक की दूरी और 8500 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरकर यहां पहुंचते हैं। वनस्पति विविधता की दृष्टि से प्रदेश में साल, शीशम, खैर, बबूल, बांस, बेल, आंवला, नींबू और बेर जैसी किस्मों के साथ-साथ अनेक दुर्लभ औषधीय पौधे भी पाए जाते हैं। यहां 80 से अधिक कृषि फसलों की जंगली किस्में पहचानी गई हैं। वन क्षेत्रों में 550 से अधिक पक्षी, 150 से अधिक तितली, 8 गिद्ध प्रजातियां, तथा चीतल, सांभर, मुन्तिजैक, पाड़ा और बारासिंघा जैसे प्रमुख वन्यजीव प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। 8 वर्षों में हुआ 242 करोड़ पौधों का वृक्षारोपण किया गया है। जिससे वनावरण वृद्धि में देश में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है।
2.6 प्रतिशत हिस्सा संरक्षित क्षेत्र,जो देश में सर्वाधिक
प्रदेश में एक राष्ट्रीय उद्यान (दुधवा राष्ट्रीय उद्यान), चार टाइगर रिजर्व (दुधवा, पीलीभीत, अमानगढ़ और रानीपुर), दो हाथी रिजर्व (शिवालिक और तराई), एक कंजर्वेशन रिजर्व (ब्लैक बक, मेजा, प्रयागराज) और 26 वन्यजीव विहार सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त चार प्राणी उद्यान लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर और इटावा — तथा कुकरैल, लखनऊ का घड़ियाल पुनर्वास केंद्र जैव विविधता संरक्षण में योगदान दे रहे हैं। प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव विहारों से कुल वन क्षेत्र का लगभग 38 प्रतिशत भाग और प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्र का 2.6 प्रतिशत हिस्सा संरक्षित क्षेत्र के रूप में सुरक्षित है जो देश में सर्वाधिक है। वन विभाग के अनुसार, प्रदेश में 11.45 लाख हेक्टेयर वेटलैंड क्षेत्र है, जो मगर, घड़ियाल, डॉल्फिन, बारासिंघा, सारस, कछुए और अन्य प्रजातियों के लिए उपयुक्त आवास है। प्रदेश के 10 वेटलैंड्स को अंतरराष्ट्रीय महत्व की रामसर साइट के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस दृष्टि से उत्तर प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है। भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट-2023 के अनुसार, प्रदेश का वनावरण और वृक्षावरण बढ़कर 23,996.72 वर्ग किलोमीटर (9.96%) हो गया है, जो पहले 23,437.53 वर्ग किलोमीटर (9.73%) था। इस वृद्धि के आधार पर उत्तर प्रदेश देश में द्वितीय स्थान पर है।
बाघों समेत वन्यजीवों की संख्या में भी हुआ इजाफा
इसी प्रकार, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की बाघ गणना रिपोर्ट 2022 के अनुसार प्रदेश में बाघों की संख्या 173 से बढ़कर 205 हो गई है। वहीं, ग्रीष्मकालीन गणना 2024 में राज्य पक्षी सारस की संख्या 19,918 दर्ज की गई है। हाथियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जबकि गंगा डॉल्फिन को राज्य जलीय जीव घोषित कर संरक्षण का विशेष दर्जा दिया गया है। वन एवं वन्यजीवों की इस समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास न केवल पर्यावरणीय संतुलन को सुदृढ़ कर रहे हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित और जीवनदायिनी धरोहर भी सुनिश्चित कर रहे हैं।
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