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Photograph: (इंटरनेट मीडिया)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। श्री कृष्ण जन्माष्टमी सभी साधक 15 अगस्त को ही मनाएं। क्योंकि इसमें कोई संदेह या भ्रम की स्थिति नहीं है। 16 अगस्त को नंदोत्सव मनाएं। यह बात श्री त्रिपुरेश्वरी शक्तिपीठ रामपुर के अधिष्ठाता और महायोगी पंडित राधेश्याम शर्मा वासंतेय ने कही है।
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उन्होंने कहा है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी मथुरा वाली स्मृतियों वाली15 अगस्त को प्रातः ब्रह्म मुहूर्त से प्रारंभ होगी। इसका व्रत निर्जल वाला और फलहार वाला ब्रह्म मुहूर्त से प्रारंभ होगा और रात्रि के 12 बजे त्रिपुरेश्वरी शक्तिपीठ में भगवान श्री कृष्ण का अवतरण उत्सव सम्पन्न होगा। उनके प्रकट के लिए संपूर्ण दिन भजन कीर्तन जो जहां है वहां करें और शक्तिपीठ में आकर भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का अमृत पान करें।
अगले दिन गोकुल वाली मनाई जाएगी 16 अगस्त को उस दिन नंद उत्सव मनाया जाएगा।
पंचांग के अनुसार, 15 अगस्त को अष्टमी तिथि देर रात 11 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 16 अगस्त को रात 09 बजकर 34 मिनट पर होगा। ऐसे में 15 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा और वैष्णवजन 16 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे।
शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि में हुआ था। इसलिए, जिस दिन मध्यरात्रि में अष्टमी तिथि पड़ती है, उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत और पूजा करना शुभ माना जाता है। अपनी परंपरा और मान्यताओं के अनुसार, आप 15 या 16 अगस्त को जन्माष्टमी मना सकते हैं, लेकिन 15 अगस्त का दिन विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है।
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