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शाहजहांपुर जिले के तहसील सदर के गांव दारापुर चठिया में सिंघाडा तोडते किसान Photograph: (महराज सिंह)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता। तहसील सदर के गांव दारापुर चठिया, फिरोजपुर, तोनी सहित आसपास का क्षेत्र हर बरसात में तालाब बन जाता है। नहर कटने या कटवाने से स्थिति और गंभीर। किसानों ने सिंघाड़ा खेती का विकल्प अपनाया, लेकिन आय बहुत कम। इससे किसान बेबसी के आंसू बहाने को मजबूर हैं।
इन गांवों के लगभग 5000 किसानों की 2000 हेक्टेयर के लगभग कृषि भूमि जलभराव की समस्याओं से जूझ रही है। यह पूरा इलाका बरसात के दिनों में जलप्रपात जैसा स्वरूप ले लेता है। हर साल यहां का पानी निकल नहीं पाता और खेत महीनों तक पानी में डूबे रहते हैं। यही नहीं, “शारदा नहर” कही जाने वाली नहर कई बार कट जाती है और कई बार कुछ लोग स्वार्थवश इसे जानबूझकर भी काट देते हैं, जिससे नहर का पानी खेतों में फैल जाता है और सैकड़ों किसानों की जमीन बर्बाद हो जाती है।
जनप्रतिनिधियों ने नहीं दे दिया ध्यान, एक किमी बनने पर समस्या का समाधान
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क्षेत्र में जलभराव की लंबे समय से यह समस्या चली आ रही है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस समाधान नहीं हो पाया है। अंदाजन करीब 5000 किसान इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जिनकी जीविका कृषि पर ही आधारित है। धान, गेहूं और अन्य फसलों की नियमित खेती यहां लगभग असंभव हो गई है। जनप्रतिनिधियों से भी लोग फरियाद कर चुके हैं। तहसील दिवस में हल के लिए प्रार्थना पत्र दिए गए, लेकिन समस्या जस की तस है।
सिंघाला भी नहीं संवार पा रहा सेहत
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ऐसी स्थिति में कुछ जागरूक किसानों ने विकट हालात में भी रास्ता निकालने की कोशिश की। इन किसानों ने जलभराव वाले क्षेत्रों में सिंघाड़े की खेती शुरू की है। सिंघाड़ा पानी में उगाया जाता है, इसलिए यह फसल यहां की परिस्थितियों के अनुकूल साबित हुई। खेती सफल भी रही और इससे किसानों को कुछ राहत मिली। मगर अब समस्या दूसरी है। सिंघाड़े की खेती मेहनत और समय दोनों मांगती है। एक बीघा में किसान को साल भर की मेहनत के बाद केवल लगभग ₹500 का शुद्ध लाभ मिलता है। यानी एक एकड़ में लगभग ₹3000, जो आज की महंगाई और लागत के सामने बहुत कम है।
सिंघाडे के विपणन की भी समस्या
हालांकि सिंघाड़ा पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है, व्रतों में भी इसकी मांग रहती है, इससे किसानों की कमाई बढ़ सकती है, लेकिन बड़े पैमाने पर मार्केटिंग और सरकारी सहयोग का अभाव इस खेती को लाभकारी नहीं बनने देता।
बोले किसान समस्या का हल एक
क्षेत्र पंचायत सदस्य राम कृपाल सिंह, दारापुर चठिया निवासी नरेंद्र पाल सिंह, योगेंद्र, सुखपाल सिंह, बुधपाल कुलदीप आदि ने समस्या का हल भी बताया। कहा कि मजबूत पानी की निकासी नलकूप, ड्रेनेज सिस्टम बना दिया जाए, तो जमीन सामान्य खेती के लायक हो सकती है और हजारों किसानों की जिंदगी बदल सकती है।
विधायक से बंधी उम्मीद
ददरौल विधायक अरविंद सिंह ने जल निकासी प्रबंधन का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा अधिकारियों को भेजकर सर्वे कराया जाएगा। किसानों की खुशहाली के लिए उनकी जमीन को कृषि योग्य भूमि बनाने हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
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