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सुपर हरक्यूलिस। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
शाहजहांपुर जनपद के जलालाबाद में गंगा एक्सप्रेसवे की हवाई पट्टी पर उड़ान भरकर शौर्य प्रदर्शन करने वाले लड़कू विमान कोई सामान्य विमान नहीं थे। इनकी मारक क्षमता की बात सुनकर पाकिस्तान और चीन के छक्के छूट जाते हैं। सेवानिवृत्त एयर मार्शल अशोक गोयल कहते हैं कि भारतीय वायु सेना का दुनियाभर में गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्होंने हवाई पट्टी पर उतारे गए युद्धक विमानों की खूबियां भी बताईं।
सुखोई-30 एमकेआइ को जानें
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सुखोई-30 एमकेआई में दुनिया की सबसे खतरनाक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस दागने की क्षमता है। आधुनिक रडार सिस्टम, कॉकपिट सिस्टम युक्त है। इसका निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने रूस की अनुमति से किया है। यह दुनिया के 10 खतरनाक लड़ाकू विमानों में से एक है। यह 4.5 जनरेशन का फाइटर जेट है। यह 72 फिट लंबा और 20.10 फिट ऊंचा है। विंग स्पैन 48.3 फिट है। इसका वजह 18,400 किलोग्राम है। इसमें लीयूल्का एल-31 एफपी आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन हैं। विमान की गति 2120 किलोमीटर प्रति घंट है। अधिक ऊंचाई पर इसकी रेंज 3000 किलोमीटर तक है। इसमें रास्ते में ही ईंधन भरा जा सकता है। इसके बाद यह 8000 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है। यह अधिकतम 56,800 फिट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। सुखोई-30 एमकेआइ से 10 तरह के बम और 4-4 तरह की मिसाइलें व रॉकेट्स दागे जा सकते हैं। यह 1 मिनट में 150 राउंड फायर कर सकता है।
मिराज-2000 लड़ाकू विमान की खासियतें
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फ्रांस निर्मित इस लड़ाकू विमान को राफेल फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी ने निर्मित किया है। यह 47 फिट लंबा और 7500 किलो वजनी है। यह 2000 किलोमीटर प्रतिघंटा तक की रफ्तार से उड़ान भरता है। यह अपने साथ 13,800 किलोग्राम गोला-बारूद लेकर उड़ान भरने में सक्षम है। यह चौथी पीढ़ी का मल्टीरोल फाइटर है। कारगिल युद्ध में इस विमान ने अहम भूमिका निभाई थी। इसमें अत्याधुनिक रडार और इलेक्ट्रानिक सिस्टम हैं। इसके अतिरिक्त इसकी टोही और मारक क्षमता काफी अधिक है। यह डबल इंजन में एक है। यह बमबारी करने और मिसाइल गिराने में माहिर है। हवा से हवा में ही दुश्मन को मार सकता है। यह कई प्रकार की रिवॉल्वर और तोपों से लैस होता है। यह 1800 राउंड प्रति मिनट की दर से गोले बरसा सकता है। एक साथ में 6.3 टन वजन के गोलाबारूद ले जा सकता है। यह लेजर गाइड मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों और परमाणु मिसाइलों को दागने की क्षमता रखता है।
MiG-29 को भी जानिए
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मिग-29 की बात करें तो इससे दुश्मन देश खासतौर से पाकिस्तान कांपता है। भारतीय वायुसेना ने 1985-90 के बीच आपात स्थिति में मिग-29 को अपने बेड़े में शामिल किया था। यह भी सच है कि रूस ने मिग-29 विमान को अमेरिकी F-16 को टक्कर देने के लिए बनाया गया था। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल मिग-29 के 3 स्क्वाड्रन यानी करीब 50 विमान मौजूद हैं। ये सभी विमान अपग्रेडेड वर्जन UPG लेवल के हैं। मिग-29 को अमेरिकी लड़ाकू विमानों की नई पीढ़ी के जवाब में डिजाइन किया गया था। इनमें F-15 और F-16 शामिल थे। इस विमान में जमीनी हमले की क्षमता भी है। इसके अलावा मिग-29 में दुश्मन देश के विमानों के सेंसर्स को जैम करने की भी खूबी है।
जगुआर की खासियतें
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जगुआर के डिजाइन की खासियत यह है कि इसके हाई-विंग लोडिंग डिजाइन की वजह से कम-ऊंचाई पर एक स्थिर उड़ान और जंगी हथियारों को ले जाने में सहूलियत होती है। विमान के कंधों पर स्थित पंखों से इसे शानदार ग्राउंड क्लीयरेंस मिलता है और जमीन पर हमला करने की विमान की खासियत के मुताबिक है। जगुआर जीआर 1 ए का निर्माण 1973 में फ्रांस में किया गया। यह अभी भी इस्तेमाल में लाया जाता है लेकिन इसकी सेवाएं सीमित हैं। यह एक लड़ाकू विमान है। इसका निर्माण फ्रांस, बिट्रेन में बीईए और भारत में एचएएल करता है। यह जगुआर एक सीट वाला विमान है। विमान 55.22 फीट लंबा और 28.51 फीट चौड़ा और 16.04 फीट ऊंचा है। बताते है कि एक खाली जगुआर विमान का वजन 7700 किलोग्राम होता है। विमान को 1700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इसकी क्षमता 30 एमएम के दो एडीईएन या डीईएफए गोले है। यह साढ़े चार हजार किलोग्राम वजन तक के हवा से हवा में हमला करने वाले और हवा से जमीन पर हमला करने वाले रॉकेट समेत कई तरह के हथियार इसमें लोड हो सकते हैं।
एएन-32 विमान
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एएन-32 (एंटोनोव एएन-32) एक सोवियत मूल का सैन्य परिवहन विमान है। इसे भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए यूक्रेन के एंटोनोव / ब्यूरो द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है। इसे भारत ने 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ से खरीदा था। भारतीय वायुसेना के पास लगभग 100 एएन-32 विमानों का बेड़ा है। इसका नाटो रिपोर्टिंग नाम क्लाइन है। विमान को उष्णकटिबंधीय और पर्वतीय क्षेत्रों में दिन-रात, यहां तक कि गर्म जलवायु परिस्थितियों (55°C तक) में भी उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह दो सिंगल-शाफ्ट टर्बोप्रॉप इंजन से संचालित है। अधिकतम 530 किमी/घंटा की गति से उड़ सकता है, और इसकी परिभ्रमण गति 470 किमी/घंटा है। विमान की रेंज और सेवा सीमा क्रमशः 2,500 किमी और 9,500 मीटर है। विमान का वजन लगभग 16,800 किलोग्राम है तथा इसका अधिकतम टेक-ऑफ वजन 27,000 किलोग्राम है। यह उबड़-खाबड़ हवाई अड्डों और मिट्टी के रनवे पर भी उड़ान भर सकता है और उतर सकता है। यह विमान घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय हवाई मार्गों पर 7.5 टन माल, 50 यात्रियों, 42 पैराट्रूपर्स या 24 मरीजों और तीन चिकित्सा दल को ले जा सकता है। इसकी भूमिका भी सीमित बमबारी वाली है तथा इसका उपयोग पैरा-ट्रूपिंग ऑपरेशनों के लिए किया जाता है।
C-130J सुपर हरक्यूलिस
इसकी खासियतों पर गौर करें, तो इसमें हवा में ईंधन भरना, ज़मीन पर ईंधन भरना, मौसम की टोह लेना, मेडिकल इमरजेंसी, खोज और बचाव, हवाई सूचना संचालन, पैराड्रॉप, हवाई फायर ब्रिगेड, समुद्री निगरानी, स्पेशल ऑपरेशन और कई अन्य मिशन शामिल हैं। यह इन्फ्रारेड डिटेक्शन सेट, सेल्फ-प्रोटेक्शन सिस्टम, आधुनिक उड़ान स्टेशन और होलोग्राफिक हेड-अप डिस्प्ले जैसी मॉडर्न सुविधाओं से भी लैस है, जो इसे बेहद खास बनाता है।
Mi-17 हेलिकॉप्टर
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इसकी कई खासियत हैं। इनका इस्तेमाल भारी वजन उठाने, ट्रांसपोर्टेशन, रेस्क्यू मिशन, और VVIP लोगों को लाने-ले जाने में किया जाता है। एक बार इन फीचर्स को विस्तार से समझते हैं। हेवी लिफ्टिंग की बारे में बात करें, तो Mi-17 हेलिकॉप्टर 36 हजार किलो तक का वजन उठा सकते हैं। अब बात करते हैं इसकी यात्री क्षमता पर। सेना में Mi-17 क्रू मेंबर्स समेत 36 सैनिकों को ले जा सकता है। लेकिन जब इन हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल VVIP के लिए किया जाता है, तो इनमें थोड़ा बदलाव किया जाता है। जिसके बाद इनमें ज्यादा से ज्यादा 20 लोग ही सवार हो सकते हैं। साथ ही मॉडिफाई किए गए हेलिकॉप्टर में टायलेट भी होता है। दुनिया के करीब 60 देश 12 हजार से ज्यादा MI-17 हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं। इनकी एक खासियत ये भी है कि इनमें मीडियम टि्वन टर्बाइन होती है। इन्हें फायर सपोर्ट, रक्षक दल की गश्ती और सर्च-एंड-रेस्क्यू (SAR) मिशन में भी तैनात किया जा सकता है।
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