मुहिम : शिक्षा के मंदिरों को व्यापार का केंद्र नहीं बनने देंगे- जसमीत
विद्यालय शिक्षा के मंदिर हैं जहां राष्ट्र के भावी कर्णधारों का निर्माण होता है । स्कूलों में महंगी फीस ड्रेस किताबें जूते के स्टाल लगाकर अभिभावकों और बच्चों का शोषण हो रहा है। समाजसेवी जसमीत साहनी ने इसके खिलाफ संघर्ष का आह्वान किया है।
जिला अभिभावक वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक एक होटल में हई। जिसमें स्कूल संचालक एवं समाजसेवी जसमीत साहनी को छात्र हित में जा रही उनकी मुहिम के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शिक्षा के मंदिरों को व्यापार का केंद्र नहीं बनना चाहिए।
एसोसिएशन जिलाध्यक्ष राम जी अवस्थी ने कहा कि छात्र-छात्राओं का शोषण करते हुए स्कूलों की ओर से तीन महीने की फीस ली जाती है। जबकि प्राइवेट संस्थानों में सिर्फ एक माह की सैलरी मिलती है। इसलिए स्कूलों पर प्रतिमाह फीस लेने के लिए दबाव बनाया जाएगा। आरटीई के तहत कमजोर वर्ग के 25% छात्रों के प्रवेश इसलिए नहीं हो पाए, क्योंकि किताबें यूनिफॉर्म का खर्चा इतना अधिक होता है कि अभिभावक व्यवस्था नहीं कर पाते ।
जिला अभिभावक वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य बैठक के दौरान Photograph: (ybn network )
Advertisment
जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोज पांडे ने कहा शिक्षा को व्यापार का साधन नहीं बनाना चहिए। जिला महामंत्री अभिषेक मोहन ने कहा फीस लेट हो जाने पर स्कूल संचालक ब्याज माफियाओं की तरह पेनाल्टी जुर्माना लगाते हैं। किताबें ड्रेस कॉफी जूते बेल्ट टाई स्कूल से लेने पर दबाव बनाते हैं। इसके लिए अभिभावक संघ संघर्ष जारी रखेगा और इसके ख़िलाफ़ कानून की मांग करेगा।
प्रधानाध्यापक अभिषेक दीक्षित सम्मानित
इस दौरान संगठन ने प्राथमिक स्कूल जमालपुर के प्रधानाध्यापक अभिषेक दीक्षित को शैक्षिक योगदान के लिए सम्मानित किया। बैठक में मोहम्मद आमिर, प्रवीण गुप्ता, विवेक गुप्ता, कमाल फहीम, राजीव कमरा, राजकिशोर कनौजिया, अनिल श्रीवास्तव, आशीष ब्रह्मतव्ज ,पवन गंगवार, अंकुर दीक्षित नितिन तिवारी हिमांशु मद्गल प्रत्यूष निहाल आदि लोग मौजूद रहे।
Advertisment
हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें!
विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें