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धर्म कर्म: श्रीमद् भागवत कथा में गूंजे श्री कृष्ण के दिव्य लीला प्रसंग

श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण लीला, कंस वध, सुदामा मित्रता व उद्धव प्रसंग का वर्णन हुआ। भजन-कीर्तन संग संतों के प्रवचनों ने माहौल भक्तिमय बना दिया।

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Anurag Mishra
धर्म-कर्म

शाहजहांपुर में भागवत कथा में भक्ति रसपान करते भक्तगण Photograph: (ybn network )

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शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता 

शाहजहांपुर। श्रीमद्भागवत कथा के पावन आयोजन में कथा व्यास डॉ. दामोदर दीक्षित ने आत्मा और परमात्मा के मिलन का रहस्य उजागर करते हुए भक्तों को भक्ति और प्रेम की गहराइयों से परिचित कराया। महारासलीला के बाद रजोगुण की निवृत्ति को भक्ति का पहला चरण बताते हुए उन्होंने श्रीकृष्ण के मथुरा आगमन का प्रसंग सुनाया। कथा में बताया गया कि अक्रूर जी, श्रीकृष्ण और बलराम को मथुरा ले गए, जहाँ भगवान ने दर्जी को भक्ति का वरदान दिया, माली से प्रेमपूर्वक माला ग्रहण की और कुब्जा के उद्धार की दिव्य कथा रची। इस प्रसंग ने श्रद्धालुओं को भक्ति की शक्ति का अहसास कराया। 

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श्रीकृष्ण की भक्ति में कैसे मिटता है अहंकार 

कथा में कंस वध के ऐतिहासिक क्षणों को जीवंत किया गया। कथा व्यास ने बताया कि जब श्रीकृष्ण और बलराम कंस के दरबार में पहुँचे, तो कंस ने उन्हें कुश्ती लड़ने के लिए पहलवानों से भिड़ा दिया। लेकिन भगवान ने समस्त दुष्टों का संहार कर अंत में कंस को उसके ही सिंहासन से खींचकर पराजित कर दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने कारागार जाकर माता देवकी और वसुदेव को मुक्त किया और अपने नाना उग्रसेन को पुनः राजसिंहासन पर स्थापित किया। इस कथा से उपस्थित श्रद्धालु श्रीकृष्ण के न्याय और करुणा से प्रभावित हुए।

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श्रीकृष्ण की नीति से जीवन में कैसे आए बदलाव 

इसके बाद कथा में गुरुकुल जीवन की प्रेरक गाथा सुनाई गई। संदीपन ऋषि के आश्रम में श्रीकृष्ण और बलराम के विद्याध्ययन का वर्णन करते हुए सुदामा के साथ उनकी अनमोल मित्रता की कथा ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। कथा व्यास ने उद्धव प्रसंग सुनाते हुए बताया कि उद्धव केवल ज्ञान को ही सर्वोपरि मानते थे, इसलिए भगवान ने उन्हें वृंदावन भेजा, ताकि वे भक्ति की महिमा को समझ सकें। रुक्मिणी विवाह और प्रद्युम्न के जन्म की कथा भी श्रोताओं को सुनाई गई।

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संगीत और प्रवचनों से गूंज उठा पंडाल

कथा के शुभारंभ में पुरोहित अनंतराम ज्वारा के मार्गदर्शन में कमलेश कुमार खन्ना एवं सरला खन्ना ने विधिपूर्वक देव पूजन किया। मंच पर कथा व्यास और विद्वतजनों का चंदन एवं पुष्पमालाओं से अभिनंदन किया गया। संगीतमय भजनों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया, जिसमें रामदुलारे त्रिगुनायत, प्रसून त्रिपाठी और रामबली के सुमधुर गायन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। स्वामी सत्यनंद महाराज और आचार्य रामानंद दीक्षित ने प्रवचन देते हुए कथा के गूढ़ संदेश को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में धीरू खन्ना, रागिनी खन्ना, डॉ. मेहरोत्रा, सोमनाथ कपूर, साध्वी रमा मिश्रा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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