बाढ़ में बहा विश्वास, लेकिन लौट आई आस्था – धर्मांतरण से घर वापसी पर 3500 घरों में फिर गूंजा 'वाहे गुरु' | जानिए सच्ची कहानी
पीलीभीत के टाटरगंज गांव में 3500 सिखों ने ईसाई धर्म त्याग कर मूल धर्म में वापसी की। विश्व हिंदू परिषद के प्रयास और सामाजिक संवाद से हुई यह घर वापसी, धार्मिक एकता की मिसाल बनी।
नेपाल सीमा से सटे पीलीभीत जनपद के पूरनपुर खंड स्थित टाटरगंज गांव, जिसे ‘तराई का पंजाब’ भी कहा जाता है, एक ऐतिहासिक सामाजिक घटना का साक्षी बना। प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलने वाले इस गांव में बीते वर्षों में सैकड़ों सिख परिवार ईसाई धर्म के प्रचारकों के प्रभाव में आ गए थे। अब इनमें से 3500 लोगों ने पुनः अपने मूल धर्म की ओर लौटने का संकल्प लिया है।
यह घर वापसी 23 मई को विश्व हिंदू परिषद के तत्वावधान में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में लखनऊ शीशमहल गुरुद्वारे के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मेरठ के क्षेत्र संगठन मंत्री सोहन सोलंकी, ब्रज प्रांत के संगठन मंत्री राजेश, धर्म प्रसार प्रमुख मुकुंदा जी महाराज सहित कई प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहे।
धार्मिक वापसी की यह प्रक्रिया तब शुरू हुई जब विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय कार्यकर्ताओं को जानकारी मिली कि गांव के सिख परिवारों का योजनाबद्ध तरीके से धर्मांतरण कराया गया है। कार्यकर्ताओं ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गांव पहुंचकर लोगों की समस्याओं को समझा और उनका विश्वास जीतने का प्रयास किया। भावनात्मक जुड़ाव, संवाद और सच्चाई को सामने रखने से प्रभावित होकर 3500 सिखों ने अपने मूल धर्म में लौटने का निर्णय लिया।
Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
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बरेली संगठन मंत्री देवेंद्र, पीलीभीत जिला अध्यक्ष श्रीकृष्ण गंगवार, परवीन अग्रवाल, जगदीश सक्सेना, शिरीष, परविंदर सिंह और अरुण सिंह जैसे स्थानीय नेतृत्वकर्ताओं ने भी इस पुनीत कार्य में सक्रिय सहभागिता निभाई।कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि यह घर वापसी केवल धार्मिक परिवर्तन नहीं बल्कि सांस्कृतिक चेतना और आत्मगौरव की वापसी है। इस अवसर पर गांव में सामूहिक भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण का आयोजन भी किया गया।
विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने मूल संस्कृति और पहचान की रक्षा करना है। स्थानीय लोगों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे सामाजिक एकता की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।