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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता
शब्दों की सौंधी महक भावनाओं की सरिता और सरस्वती वंदना की सात्विक गूंज के साथ रविवार को अखिल भारतीय काव्यधारा रामपुर की शाहजहांपुर इकाई के तत्वावधान में ‘सजल स्वर्णाक्षरा’ काव्य संग्रह का विमोचन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। यह आयोजन श्री चेतराम मानव सुधार संस्थान जूनियर हाईस्कूल गदियाना चुंगी निगोही रोड शाहजहांपुर में आयोजित हुआ।
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संचालन बना आयोजन की आत्मा
कार्यक्रम का संचालन पीलीभीत के चर्चित कवि सत्यपाल सिंह ‘सजग’ ने अत्यंत भावपूर्ण और संयमित शैली में किया। उन्होंने माँ सरस्वती की वंदना से आरंभ कर श्रोताओं को भक्ति भाव में सराबोर कर दिया। उनका संचालन न केवल प्रभावशाली था, बल्कि उन्होंने हर रचनाकार की प्रस्तुति को जिस आदर और संजीदगी से मंच दिया वह आयोजन की आत्मा बन गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार रणधीर प्रसाद गौड़ (बरेली) रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. महेश मधुकर (बरेली), डॉ. सरिता वाजपेयी (शाहजहांपुर), शिवकुमार और वीरेश परमार और संरक्षक ऊषादेवी मंचासीन रहे। इस भव्य आयोजन का संयोजन महेन्द्र पाल सिंह यादव ‘मधुप’ ने किया।
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'सजल स्वर्णाक्षरा' का विमोचन
‘सजल स्वर्णाक्षरा’ काव्य संग्रह का विमोचन मंचासीन अतिथियों ने किया। इस संकलन में विविध कवियों की रचनाएँ संकलित हैं, जो समकालीन जीवन, संवेदना, देशप्रेम और भक्ति के विविध रंगों को समाहित करती हैं।
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काव्य पाठ: विविध भावों की बयार
कार्यक्रम में देशभर से आए कवियों ने श्रोताओं को अपनी रचनाओं से मंत्रमुग्ध कर दिया। कुछ उल्लेखनीय प्रस्तुतियाँ
नीलम रानी सक्सेना (रामपुर)
“कण-कण में तुम ही बसते हो,
सृष्टि को तुम ही रचते हो,
वेणु की मीठी सी धुन से,
मन मोहित हो जायेगा...”
राजवीर सिंह 'राज' (रामपुर)
“दुख की दुहरिया में,
सुख की नगरिया में,
आई तेरी याद मुझे ओ माई…”
किरन प्रजापति (दिलवारी, बरेली)
“हर युग में वहां पर राम को वनवास होना है...”
रामरतन यादव (खटीमा, उत्तराखंड):
“पनियां भरन को चली ब्रजपाती गोरिया,
माथे पे रखके अपने दो-दो गागरिया…”
रजनी सिंह ‘प्रज्ञा’ (पीलीभीत)
“मां तेरा आशीष चाहता,
धरा का कर्ज चुकाना है…”
अखिलेश कुमार सिंह 'अखिल' (हरदोई)
“कोई भूली कहानी लिख रहा हूं…”
डॉ. सरिता वाजपेयी (शाहजहांपुर)
“ईमान की बात फिर से चली है,
दिल में जहर गुड़ की डाली है…”
अनिल यादव 'अनिकेत' (हरदोई)
“हमको वतन में अमन और शांति चाहिए,
इस वास्ते लहू बहे मंजूर है मुझे…”
इन प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को कभी गदगद कभी भावुक और कभी राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत कर दिया।
सम्मान एवं उपनाम
• महेन्द्र पाल सिंह यादव को 'मधुप' उपनाम
• रजनी सिंह को 'प्रज्ञा' उपनाम
उपनाम से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उनकी साहित्यिक साधना की मान्यता के रूप में दिया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु अखिल भारतीय काव्यधारा के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र कमल सक्सेना ने सभी साहित्य प्रेमियों, रचनाकारों, श्रोताओं और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि “यह आयोजन केवल कविता का मंच नहीं संस्कृति और विचारों के आदान-प्रदान का पावन अवसर रहा। ‘सजल स्वर्णाक्षरा’ का विमोचन और काव्य सम्मेलन साहित्यिक अभिरुचि के प्रेमियों के लिए एक यादगार अनुभव बना। यह आयोजन काव्य, संस्कृति और संवाद की त्रिवेणी बनकर उभरा जिसमें हर कवि और श्रोता ने अपनी अनुभूति जोड़ी और उसे शब्दों के माध्यम से साझा किया।
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