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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
अटल बिहारी वाजपेयी प्रेक्षागृह में शनिवार को एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना थे। यह आयोजन डॉ.सोमशेखर दीक्षित के प्रयासों से सम्पन्न हुआ।
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मुख्य अतिथि ने इस पहल को ज्ञानवर्धक और उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से जुड़ी इस तरह की गोष्ठियों का आयोजन नियमित अंतराल पर होना चाहिए, ताकि आम जनता तक जरूरी जानकारी पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है और अब शाहजहांपुर जैसे जनपदों में भी डॉक्टरों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है।
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उन्होंने जानकारी दी कि जहां पहले पूरे उत्तर प्रदेश में 12-13 मेडिकल कॉलेज थे, वहीं आज यह संख्या 80 हो चुकी है। साथ ही राज्य को 1500 नई मेडिकल सीटें भी प्राप्त हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का फोकस हर स्तर पर डॉक्टरों की संख्या बढ़ाना और स्वास्थ्य बजट को प्राथमिकता देना है। गोष्ठी में दिल्ली से आए प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुमित सिंह ने स्ट्रोक पक्षाघात के बढ़ते मामलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां स्ट्रोक के मुख्य कारण बन रही हैं। इसके लक्षणों में चेहरे या अंगों का सुन्न हो जाना। बोलने में कठिनाई, सिरदर्द और चक्कर आना शामिल हैं।
उन्होंने जोर दिया कि ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत एमआरआई जांच कराकर इलाज शुरू करना चाहिए, क्योंकि समय रहते उपचार से जीवन बचाया जा सकता है।
इसके अलावा मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. बृजेश श्रीवास्तव ने यूरोलॉजी से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पेशाब में जलन, रुकावट, खून आना, कमर दर्द और अंडकोष में सूजन जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय पर इलाज न करने से ये समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं। अंत में, मंत्री खन्ना ने डॉक्टरों से मरीजों के प्रति संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि सकारात्मक संवाद और व्यवहार से मरीज का आत्मविश्वास बढ़ता है और उसकी आधी बीमारी ऐसे ही ठीक हो जाती है।
कार्यक्रम में जिले के कई वरिष्ठ प्रशासनिक और चिकित्सा अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें जिलाध्यक्ष केसी मिश्रा, जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह, पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विवेक कुमार मिश्रा प्रमुख थे।
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