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गुरुद्वारा साहिब में सजा दीवान। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
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गुरुद्वारा साहिब में सजा दीवान। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता
खालसा साजना दिवस के पावन अवसर पर रविवार को गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, शाहजहांपुर में एक विशेष गुरमत समागम का आयोजन श्रद्धा एवं भक्ति के साथ किया गया। यह पावन अवसर संगत के लिए अध्यात्मिक अनुभव से परिपूर्ण रहा।
प्रातःकाल सुखमनी साहिब के पाठ के साथ आरंभ हुए इस समागम में संगत ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इसके उपरांत ‘आसा की वार’ का संगीतमय कीर्तन किया गया। विशेष रूप से सरदार गुरमीत सिंह एवं अवतार कौर द्वारा रखवाए गए श्री अखंड पाठ साहिब के भोग संपन्न हुए।
इनकी रही उपस्थितिः इस अवसर पर हजूरी रागी भाई बेयंत सिंह, सदजाप सिंह, जसपाल सिंह एवं हरजीत कौर ने शबद गायन से संगत को गुरु गोबिंद सिंह जी की महिमा से जोड़ा। बटाला (पंजाब) से विशेष रूप से पधारे भाई लवदीप सिंह व साथियों ने गुरु गोबिंद सिंह जी की रचित बानी का भावपूर्ण कीर्तन प्रस्तुत किया।
श्री गुरु रामदास गुरमत संगीत विद्यालय, रोज़ा, शाहजहांपुर के इंचार्ज प्रो. दिलप्रीत सिंह ने भी गुरबाणी कीर्तन से श्रद्धालुओं को निहाल किया। दीवान का संचालन करते हुए सरदार जगजीत सिंह ने खालसा पंथ की साजना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 1699 ई. में इसी दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में पांच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा पंथ की स्थापना की थी।
समारोह में संस्थाध्यक्ष बीबी कमलेश कौर माटा ने सरदार गुरमीत सिंह व अवतार कौर को सिरोपा भेंट कर सम्मानित किया। वरिष्ठ जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने भी गुरुद्वारा साहिब पहुंचकर शीश नवाया और श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
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इस मौके पर प्रमुख समाजसेवियों — जुझार सिंह मोंगा, हरभजन सिंह दुआ, राजू बग्गा, कुलदीप सिंह व अन्य ने अतिथियों को शाल भेंट कर सम्मानित किया। संस्थाध्यक्ष सहित समिति पदाधिकारियों ने संगत का धन्यवाद ज्ञापित किया। गुरुद्वारा परिसर को रंग-बिरंगी झालरों, पुष्पों से सजाया गया था। फूलों से सजी पालकी साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के दर्शनार्थ सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
लंगर सेवा में सरदार मंजीत सिंह, जसपाल सिंह, गुरमीत सिंह गांधी, लवीश बग्गा, मनमीत सिंह सहित कई सेवादारों ने सेवाएं दीं। जोड़ों की सेवा अरविंदर सिंह व हरमीत सिंह ने की। इस ऐतिहासिक अवसर पर परमजीत सिंह बग्गा, गुरबचन सिंह माटा, मनमीत सिंह सोढ़ी, मनी बग्गा, अवतार सिंह, गुरजीत सिंह (राजू बग्गा), शरणजीत कौर, गुरजोत सिंह गांधी सहित अनेकों सेवकों का योगदान सराहनीय रहा।
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