खालसा साजना दिवसः शाहजहांपुर जिला कारागार में गूंजा बोले सो निहाल.. सत श्री अकाल
शाहजहांपुर के जिला कारागार में बैसाखी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। गुरुवाणी, सबद-कीर्तन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां ने बंदियों को भाव विभोर कर दिया। आयोजन में उल्लास, भाईचारे और सांस्कृतिक रंग की छटा देखने को मिली।
जनपद के जिला कारागार में रविवार को बैसाखी पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर गुरुद्वारा गुरु सिख सभा, कचहरी, शाहजहांपुर के सदस्य जसप्रीत सिंह कोमल, जगजीत सिंह, राजा वीर,मिन्टू ,राजू बग्गा, नवनीत कौर, सनप्रीत कौर व विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने भाग लेकर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की।
कार्यक्रम की शुरुआत कीर्तन वाचक टीम द्वारा गुरुवाणी और सबद-कीर्तन से हुई, जिसने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। इसके उपरांत बच्चों ने बैसाखी पर्व पर आधारित गीत, भजन और पारंपरिक नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियां दीं।
जिला कारागार में कार्यक्रम प्रस्तुत करते बच्चे। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
बैसाखी पर्व के महत्व पर डाला प्रकाश
इस अवसर पर जसप्रीत सिंह कोमल, जगजीत सिंह और राजा वीर जी ने बैसाखी पर्व के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह पर्व सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की स्मृति में मनाया जाता है। गुरु जी ने आनंदपुर साहिब में एक विशाल सभा आयोजित कर ‘पंज प्यारे’ का चयन किया था, जिन्होंने खालसा पंथ की नींव रखी।
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बैसाखी को लेकर बताया गया कि यह किसानों के लिए भी विशेष पर्व है, क्योंकि इस समय रबी की फसलें पककर तैयार हो जाती हैं। किसान अपनी मेहनत का फल देखकर प्रसन्न होकर पर्व मनाते हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी बंदियों को कड़ा प्रसाद वितरित किया गया। जेल प्रशासन द्वारा कार्यक्रम की सराहनीय व्यवस्था की गई थी। बंदियों ने पूरे मनोयोग से आयोजन में भाग लिया और पर्व की भावना को आत्मसात किया।