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मनरेगा: मजदूर और कर्मचारी भुखमरी के कगार पर

मनरेगा मजदूरों व कर्मचारियों को महीनों से भुगतान नहीं मिला, जिससे विकास कार्य ठप हैं। प्रधान, मजदूर और सप्लायर परेशान हैं। कर्मचारी संघ ने समाधान की मांग की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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Anurag Mishra
मनरेगा

ब्लॉक भावल खेड़ा में मनरेगा में काम करते श्रमिक Photograph: (ybn network )

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शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता 

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जनपद में मनरेगा के तहत किए गए कार्यों का भुगतान महीनों से अटका हुआ है। छह माह से सामग्री आपूर्तिकर्ताओं और तीन माह से मजदूरों की मजदूरी नहीं मिलने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ग्राम प्रधानों का कहना है कि मनरेगा ग्रामीण विकास की रीढ़ है, लेकिन भुगतान में देरी से सामग्री देने से इनकार कर रहे हैं, जिससे कार्य बाधित हो गया है।

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सरकार से जल्द भुगतान की मांग

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प्रधान संघ अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह के अनुसार, कई बार विभागीय अधिकारियों को पत्राचार के माध्यम से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक समाधान नहीं हुआ। भुगतान न होने से प्रधानों को मजदूरों और सप्लायरों के दबाव का सामना करना पड़ रहा है। मजदूर और आपूर्तिकर्ता प्रतिदिन प्रधानों से अपने बकाये को लेकर सवाल कर रहे हैं, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिल पा रहा है।

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मानदेय न मिलने से परेशान मनरेगा कर्मचारी

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पिछले पांच महीनों से मनरेगा कर्मचारियों को भी मानदेय नहीं मिला है, जिससे वे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। रोजगार सेवक संघ के ललितेश शास्त्री के अनुसार, 2015 से ईपीएफ की राशि कर्मचारियों के यूएएन खातों में जमा होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक भुगतान नहीं हुआ। कई बार पत्राचार के बावजूद समस्या का समाधान नहीं किया गया है।

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सरकार से कार्रवाई की उम्मीद

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भुगतान न मिलने से मजदूर, सप्लायर और कर्मचारी सरकार से नाराज हैं। कई परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। अब देखना होगा कि प्रशासन कब तक बकाया राशि जारी करता है, जिससे प्रभावित लोगों को राहत मिल सके। 

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