/young-bharat-news/media/media_files/2025/12/01/asaram-rape-case-2025-12-01-17-32-12.jpeg)
दुष्कर्म के आरोप में पुलिस के साथ आसाराम Photograph: (इंटरनेट मीडिया)
शाहजहांपुर वाईबीएन नेटवर्क। आसाराम प्रकरण की पीड़िता के पिता ने उसकी जमानत रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पिता के वकील ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि आसाराम पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें जेल से बाहर इलाज की कोई वास्तविक जरूरत नहीं है। उन्होंने मांग की है कि आसाराम को आम कैदियों की तरह जेल के भीतर ही इलाज दिया जाए।
परिवार की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता
पीड़िता के पिता ने आशंका जताई है कि यदि आसाराम जेल से बाहर रहते हैं तो उनके पूरे परिवार की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। उनका कहना है कि आसाराम के समर्थकों द्वारा पहले भी उनके परिवार को खत्म करने की धमकियां दी गई थीं। इसी कारण से वे लगातार भय के माहौल में जी रहे हैं। पिता ने कहा कि बाहर रहने से आसाराम का नेटवर्क सक्रिय हो सकता है, जो उनके परिवार के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगा।
पीड़िता के परिवार की पुरानी जुड़ाव की कहानी
एक समय था जब पीड़िता का परिवार आसाराम का अनुयायी हुआ करता था। साल 2013 में लड़की के बेहोश होने पर एक साधक ने इसे ‘भूत-प्रेत का साया’ बताकर इलाज के लिए आसाराम के पास ले जाने की सलाह दी। इसी बहाने 14 अगस्त 2013 को उसे छिंदवाड़ा से जोधपुर के मणाई आश्रम ले जाया गया, जहां 15 अगस्त की रात आसाराम ने नाबालिग से दुष्कर्म किया।
कानूनी लड़ाई और सजा
20 अगस्त 2013 को पीड़िता ने दिल्ली पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई। निर्भया कांड के बाद लागू हुए सख्त कानूनों के तहत आसाराम पर गंभीर धाराएं लगाई गईं। 31 अगस्त 2013 को उसकी गिरफ्तारी हुई और 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। तभी से वह जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है और पहली बार पैरोल पर बाहर आया है।
गवाहों पर हमला और साजिश
पीडिता के पिता का कहना है कि आसाराम साजिश करके कई लोगों की हत्या करा चुके हैं। उनकी बेटी के साथ दुष्कर्म प्रकरण के गवाह कृपाल सिंह की हत्या कर दी गई। इसी तरह वैद्य अमृत प्रजापति, राहुल सचान, रसोइया अखिल गुप्ता आदि को आसाराम के गुर्गों ने हत्या कर दी। राहुल सचान को गायब भी कर दिया। गवाह महेंद्र चावला, पत्रकार नरेंद्र यादव समेत कई लोगों पर जानलेवा हमला कराया। पीडिता के पिता ने कहा कि यदि आसाराम बाहर आने से उन्हें व परिवार की जान को खतरा बढ गया है।
जमीन विवाद और बदनाम करने की कोशिश
पीड़िता के पिता ने बताया कि शाहजहांपुर में उनके द्वारा दी गई जमीन ट्रस्ट के नाम दर्ज हो गई थी। कोशिशों के बावजूद उसे वापस नहीं मिल सका। इसके अलावा आसाराम के गुर्गों ने शहर में उसकी किताबें बांटकर परिवार को बदनाम करने की कोशिशें कीं।
यह भी पढ़ें
शाहजहांपुर में अवैध बिक्री रात में मकान से बेची जा रही शराब आबकारी विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल
शाहजहांपुर में ग्रामीण खेल महाकुंभ सम्पन्न, विजेता खिलाड़ी सम्मानित
/young-bharat-news/media/agency_attachments/2024/12/20/2024-12-20t064021612z-ybn-logo-young-bharat.jpeg)
Follow Us
/young-bharat-news/media/media_files/2025/04/11/dXXHxMv9gnrpRAb9ouRk.jpg)