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सीसी रोड धूल की तरह उखड़ रही। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता। भरथौली गांव है, जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर है। शायद मुख्यालय के अफसर नहीं पहुंचते हों, लेकिन 17 किलोमीटर दूर जलालाबाद तहसील से तो कोई अफसर जरूर पहुंचता होगा। लेकिन इस ग्राम पंचायत की हालत खराब है, तीन महीने पहले बनी सीसी रोड धूल की तरह बिखर रही है। विकास के काम कहीं नजर नहीं आते हैं, कागजों में तो बहुत कुछ हुआ है, लेकिन धरातल पर गांव का हाल बहुत खराब है।
यंग भारत न्यूज की टीम बुधवार को इस गांव में पहुंची तो गांव वालों की भीड़ जुट गई। कोई शाहजहांपुर से निरीक्षण को आया अधिकारी समझ रहा था, तो कोई सर्वे करने वाला। लेकिन जब हकीकत पता चली पत्रकार आए हैं तो कुछ ही देर में गांव वालों की भीड़ जुट गई विकास कार्यों पर उठे सवाल, प्रधान पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे। सबसे पहले तो गांव वाले रामवीर के मकान से रामाधार के मकान तक बनाई गई सीसी सड़क महज चार महीने में ही उखड़ने लगी है, जिससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। गांव के लोगों का कहना है कि सीसी निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया। मौके पर किए गए निरीक्षण में सड़क की परतें धूल की तरह उखड़ती नजर आईं। ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण कार्य मार्च महीने में पूरा हुआ था। लेकिन कुछ ही महीनों में इसकी हालत खराब हो गई।
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मनरेगा में जेसीबी से काम करा रहे, ग्रामीण हो रहे बेरोजगार
ग्रामीण अवनीश, धनपाल राठौर ने इस बात पर बड़ी गुस्सा जताई, मनरेगा से काम हो रहा है, फर्जी खाते खोल दिए गए हैं, जेसीबी चलाई जा रही है। जबकि गांव के बेरोजगार खाली घूम रहे हैं। मनरेगा के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। शिकायत की गई थी, लेकिन ब्लाक से लेकर तहसील तक के अधिकारी मिले हुए हैं और गलत काम के लिए संरक्षण दे रहे हैं।
कंपोस्ट गड्ढे कागजों में जमीन पर नहीं, फर्जी तरीके से निकाला भुगतान
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत में कंपोस्ट खाद के लिए बनाए जाने वाले गड्ढों का निर्माण धरातल पर कभी हुआ ही नहीं लेकिन भुगतान फर्जी तरीके से निकाल लिया गया। ग्रामीणों ने इस मामले की जांच कराने की मांग की है। खाद के गड्डों के लिए लोगों ने शिकायत थी लेकिन धमकाया जाने लगा। प्रधान पर दबंग हावी हो गए हैं, वही गलत काम करा रहे हैं। प्रधान को अपने कब्जे में कर लिया है। कार्रवाई हुई तो फंसेगा प्रधान ही।
खड़ंजे की हेराफेरी और मनरेगा में गड़बड़ी
गांव वालों का यह भी आरोप है कि पंचायत में पड़ा खड़ंजा (ईंट/फर्शी) प्रधान द्वारा उखड़वा कर किसी अन्य स्थान पर बिछवा दिया गया। वहीं कुछ कार्य जेसीबी से कराए गए लेकिन उन्हें मनरेगा योजना के अंतर्गत दिखाया गया है। इससे स्पष्ट है कि मजदूरों के नाम पर भुगतान निकाल कर हेराफेरी की गई है। इसकी शिकायत की गई थी, जांच के लिए अधिकारी भी आए थे लेकिन मामले को जहां के तहां दबा दिया गया।
झोपड़ी में रहता है आवास ही नहीं बना
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गांव के रमेश का कहना है कि आवास के लिए कागज दिए थे, झोपड़ी होने के बाद उसे पक्का आवास मिला था, लेकिन प्रधान ने वोट न देने की वजह से निरस्त करा दिया। जब रमेश ने शिकायत की तो कहा कि एक ही लड़का है तुम्हारे पास उसकी कसम खाओ कि इस बार वोट देंगे तो आवास के बारे में सोचेंगे। रमेश आवास न मिलने से परेशान हैं।
नाला भी नहीं टिका ज्यादा दिन
नाले के निर्माण पर भी ग्रामीणों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि कुछ ही समय में नाला भरभरा कर गिर गया जिससे बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या गहराने लगी है।
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ग्रामीणों में आक्रोश, जांच की मांग
गांव के लोगों ने इन सभी मामलों की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि जब भी कोई ग्रामीण सवाल उठाता है तो उसे दबाने की कोशिश की जाती है। ग्रामीणों ने संबंधित विभागों और प्रशासन से अपील की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। आरोप यह भी है कि प्रधान किसी के दबाव में रह कर काम करते हैं।
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