शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता।
''वैवस्वत मनु की पुत्री भी इला से बनी थीं सुद्युम्न''
उत्तर प्रदेश के जनपद शाहजहांपुर के खुदागंज के गांव नवादा दरोवस्त के ठाकुर रोशन सिंह देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में पंडित रामप्रसाद विस्मिल और अशफाक उल्ला खां के साथी रहे। उन्होंने गीता का पाठ करते हुए फांसी के फंदे को चूमा और वतन के लिए शहीद हुए थे। शहीद रोशन सिंह के परिवार की बेटी सरिता सिंह के लिंग परिवर्तन कर शरद रोशन सिंह बनने की खबर इन दिनों सुर्खियों में है। सरिता के इस लिंग परिवर्तन ने समाज को महिला सशक्तिकरण समेत कई संदेश दिए हैं। वैसे तो उन्हें नाम परिवर्तन के बाद लिंग परिवर्तन की कानूनी मान्यता मिल गई है। वहीं दो अप्रैल को उनके अपनी महिला सहपाठी के साथ संसर्ग से पुत्र रत्न की प्राप्ति होने से और पुख्ता मुहर लग गई है। सरिता से शरद बनने की कहानी को समाज के चंद लोग भले ही इत्र कहें, लेकिन यह कई पौराणिक कहानियों से भी मेल खाती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सनातन समाज के लिए यह कोई गलत संदेश नहीं है। वैवस्वत मनु की पुत्री इला के सुद्युम्न बनने और वंश परंपरा चलने की पौराणिक मान्यता के रूप में एक झलक कही जा सकती है।
जानिए वैवस्वत मनु की संतान की कहानी
पौराणिक कथा के मुताबिक वैवस्वत मनु के एक पुत्री भी थी इला, जो बाद में पुरुष बन गई। एक समय वैवश्वत मनु तथा उनकी पत्नी श्रद्धा ने संतानसुख की लालसा से मित्रावरुण नामक यज्ञ करवाया। देवी श्रद्धा ने होता ब्राह्मण को कहा कि मेरी इच्छा है कि मुझे कन्या हो, परंतु मनु तो पुत्र चाहते थे। उस समय में उन्हें पुत्रीरत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम इला रखा गया। मनु जी के आग्रह पर महर्षि वसिष्ठ जी ने बताया कि यज्ञ में गलती के कारण यह हुई है। वसिष्ठ जी ने योग से श्रीहरि को प्रसन्न किया जिससे वह इला नामक कन्या सुद्युम्न नामक बालक बन गई। कालांतर में एक समय यह राजकुमार सिंधुदेश के घोड़े पर सवार होकर कुछ मंत्रियों के साथ शिकार खेलने वन में गए। वे सब उत्तर में कुछ दूर मेरु पर्वत की तलहटी (अंबिकावन) में चले गए। वहां भगवान शिव तथा पार्वती जी समागम कर रहे थे, वहां जब सुद्युम्न पहुंचे तो यह देख पार्वती जी ने सभी को स्त्री होने का श्राप दिया। उसके बाद अपने मंत्रियों सहित सभी स्त्री में रूप में बदल गए। यही नहीं स्त्री बनने पर चंद्रमा के पुत्र बुध ने इला से विवाह किया। तो उसके पुरुरवा नाम के पुत्र का जन्म हुआ। बाद में वसिष्ठ जी ने भगवान शिव को प्रसन्न कर इला को पुन: सुद्युम्न में परिवर्तित कर दिया। भगवान शिव ने कहा कि हे वसिष्ठ! तुम्हारा यह यजमान एक माह के लिये स्त्री रहेगा तथा एक माह के लिये पुरुष होकर अपना राजकाज किया करेगा। तदुपरान्त वह सुद्युम्न बनकर उसने अत्यन्त धर्मात्मा तीन पुत्रों से मनु के वंश की वृद्धि की जिनके नाम इस प्रकार हैं- उत्कल, गय तथा विनताश्व।
ब्रह्माजी ने अपने शरीर से की थी स्त्री और पुरुष की रचना
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, स्त्री और पुरुष की रचना भगवान ब्रह्मा ने की थी। ब्रह्मा ने अपने शरीर को दो भागों में बांटा था, जिनसे पुरुष और स्त्री की उत्पत्ति हुई थी। ब्रह्मा ने अपने शरीर के दो टुकड़े किए थे, जिसमें से एक टुकड़े को “का” नाम दिया और दूसरे टुकड़े को “या” नाम दिया। इन दोनों ने मिलकर काया बनाई और इसी काया से पुरुष और स्त्री तत्वों का जन्म हुआ। पुरुष का नाम स्वयंभुव मनु और स्त्री का नाम शतरूपा था। इन्हीं दोनों को ब्रह्मा ने सृष्टि का ज्ञान प्रदान किया और पृथ्वी पर भेजा। जब दोनों का पृथ्वी पर आमना-सामना हुआ तो ब्रह्मा जी के दिए सांसारिक और पारिवारिक ज्ञान के अनुसार दोनों ने एक दूसरे को स्वीकार किया। इन्हीं दोनों के मिलन से सृष्टि से समस्त जनों की उत्पत्ति हुई।
यह भी पढे :Science: अमर बलिदानी ठाकुर रोशन सिंह की प्रपौत्री ने लिंग परिवर्तन करा सहेली से की शादी, अब दंपती बने माता-पिता
यह भी पढ़ें: Kanpur IIT में करियर कनेक्ट का हुआ समापन, शोध लेखन व पेटेंट फाइलिंग पर चर्चा