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विशेष: मुमुक्षु कवि सम्मेलन में पढ़ी गईं विशुद्ध कविताएं

जहां एक ओर आज के कवि सम्मेलन फूहड़ता और स्तरहीनता के शिकार हो चुके हैं ऐसे में मुमुक्षु आश्रम में हुए कवि सम्मेलन में पूरी शालीनता के साथ शुद्ध कविता पाठ हुआ।

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Dr. Swapanil Yadav
कवि सम्मेलन

मुमुक्षु महोत्सव में काव्य पाठ करती कवयित्री मुस्कान शर्मा Photograph: (वाईवीएन संवाददाता )

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शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता 

 मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन एक विशुद्ध साहित्य संगम का महाकुंभ साबित हुआ। जहां आजकल कवि सम्मेलन फूहड़ और स्तरहीन टिप्पणियों से भरे होते हैं। वहीं मुमुक्षु महोत्सव के अंतर्गत आयोजित कवि सम्मेलन में मध्यरात्रि बाद तक भारतीय संस्कृति और साहित्य की धुरी पर संचालित रहा। पूरे विश्व में ओज के सशक्त हस्ताक्षर बन चुके कवि डॉ. हरिओम पवार की देश भक्ति की कविताएं पूरे पंडाल को एक साथ खड़े होने पर मजबूर कर गईं।

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कवि सम्मेलन
कविताओं का आनंद लेते स्वामी चिन्मयानंद, जिलाधिकारी शाहजहांपुर,नगर आयुक्त शाहजहांपुर Photograph: (वाईवीएन संवाददाता )

अपने चिरपरिचित अंदाज में कवि सम्मेलन समय पर शुरू हुआ, स्वामी जी ने अपना पूरा समय देते हुए पूरी तल्लीनता के साथ कवि सम्मेलन सुना। लगभग 4 घंटे से ऊपर चले कवि सम्मेलन में स्वामी जी ने अपना महत्वपूर्ण समय दिया। सभी कवियों ने स्वामी जी को उनके जन्मदिन की बधाई देते हुए उनकी लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना की। और यह भी कहा कि जब वह दोबारा आएं तो यह महाविद्यालय एक विश्वविद्यालय बन चुका हो।

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शहर के जिलाधिकारी और नगर आयुक्त की गरिमामई उपस्थिति में पूरा कवि सम्मेलन शालीनता के साथ सुना गया। डॉ. हरिओम पवार ने लोगों को बीच बीच में अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया और राजनीति पर जोरदार प्रहार किए। अपनी चंद्रशेखर आजाद और कारगिल विषय की कविता से उन्होंने पूरे पंडाल को जोश से भर दिया। 

हास्य कवि डॉ. सर्वेश अस्थाना ने अपने व्यंग के अंदाज में बार बार भगवान के कसमें खाकर बेहतरीन संचालन भी किया और श्रोताओं को गुदगुदा गए। सरिता बाजपेई ने तो चुटकी लेते हुए उन्हें थाना शब्द से उद्बोधित किया और कहा आपने थाने पर जो कविता लिखी तो थाना और अस्थाना में अंतर पता नहीं चलता।

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कवि डॉ. इंदु अजनबी के संयोजन में हुए कवि सम्मेलन में शाहजहांपुर के वरिष्ठ कवि विजय ठाकुर ने अपनी लोक भाषा में जो कविताएं सुनाई तो डीएम साहब भी कविता में अलंकार पर चर्चा करने लगे।

गाजियाबाद से आई कवयित्री मुस्कान शर्मा ने युवाओं के दिलों में प्रेम के छिपे बीजों को अंकुरित करने पर मजबूर कर दिया। डॉ. इंदु अजनबी ने अपने अलग अलग अंदाज के गीतों से श्रोताओं का मन मोह लिया। डॉ. प्रशांत अग्निहोत्री ने अपने नवगीतों से श्रोताओं के दिलों में जगह बना ली। पुवायां के युवा कवि प्रदीप वैरागी ने वीर रस की कविता के साथ नए मानक प्रस्तुत किए।

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