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गन्ना फसल Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवादाताः
गन्ना खेती से किसानों का मोह भंग होने लगा है। इसका कारण गन्ना मूल्य भुगतान में देरी के साथ ही उपज दर में गिरावट को माना जा रहा है। जनपद में लगभग दस हजार तथा प्रदेश में लगभग एक लाख हेक्टेयर गन्ना रकबा कम होने के आसार है।
दरअसल गन्ना विभाग ने अधिक उपज व चीनी परता देने वाली गन्ना किस्म सीओ 0238 को अनुपयुक्त करार दिया है। इससे गन्ना उपज दर व चीनी परता पर प्रतिकूल असर पडा है। जनपद में बजाज समूह की मकसूदापुर चीनी मिल ने अभी तक 110 करोड गन्ना मूल्य का भुगतान भी नहीं किया है, इससे सबसे ज्यादा मकसूदापुर चीनी मिल क्षेत्र में लगभग चार हजार हेक्टेयर गन्ना रकबा घटा है। जबकि जिले में आठ से दस हजार हेक्टेयर गन्ना रकबा घटने के संकेत मिले है। प्रदेश में यह आकडा एक लाख हेक्टेयर तक पहुंचने के आसार है।
बजाज चीनी मिल पर 110 करोड गन्ना मूल्य बकाया
बजाज चीनी मिल पर 110 करोड 73 लाख बकाया है। मकसूदापुर स्थित बजाज चीनी मिल पर 169 करोड 85 लाख का गन्ना खरीदा था। अब तक मात्र 59 करोड 12 लाख का भुगतान किया है। तीन दिसंबर 2024 के बाद खरीदे गए गन्ना का अब तक भुगतान नहीं किया, जबकि अन्य चीनी मिलों ने शत प्रतिशत गन्ना मूल्य का भुगतान कर चुकी हैं।
67 प्रतिशत घट गया सीओ 0238 गन्ना किस्म का रकबा
सीओ 0238 में रेटराट यानी लाल सडन रोग लग गया है, इस कारण इस गन्ना किस्म का रकबा 67 प्रतिशत तक घट गया है। चीनी परता व उपज दर में सर्वोत्तम गन्ना किस्म होने के कारण सीओ 0238 का रकबा 86 प्रतिशत तक पहुंच गया था। गत वर्ष रकबा मात्र 19 प्रतिशत रह गया, इस बार 13 प्रतिशत तक पहुंचने के आसार है।
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वर्जन
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लाल सडन रोग से प्रभावित हो चुकी 0238 गन्ना किस्म का रकबा घटने से उपज दर प्रभावित हुई है। चीनी परता पर भी असर पडा है। नई गन्ना किस्मों की आपूर्ति के बाद संकट दूर हो जाएगा। गन्ना रकबा में बडी कमी का कारण मक्का खेती को बढावा भी है, दरअसल किसानों को नकदी फसल के रूप में मक्का का विकल्प मिल गया है, खासकर मकसूदापुर चीनी मिल क्षेत्र के किसानों ने गन्ना की जगह मक्का खेती को अपना लिया है। नतीजतन सबसे ज्यादा पुवायां क्षेत्र में रकबा घट गया।
जितेंद्र मिश्रा, जिला गन्ना अधिकारी
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