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शिक्षक डा अंबिका श्रीवास्तव Photograph: (वाईबीएन)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता। कहते हैं कि शिक्षा तभी सार्थक होती है जब वह बच्चों के मन को छू जाए, उनकी कल्पना को उड़ान दे और ज्ञान को आनंद में बदल दे। ब्लॉक ददरौल के कंपोजिट विद्यालय टिकरी की संकुल प्रभारी डॉ. अंबिका श्रीवास्तव ने इस विचार को साकार करते हुए शिक्षा में नवाचार की अद्भुत मिसाल पेश की है। उन्होंने पारंपरिक शिक्षण विधियों को आधुनिक तकनीक, संगीत और एआई से जोड़कर विद्यालय में एक नया वातावरण तैयार किया है, जो बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित ही नहीं करता, बल्कि शिक्षा को मनोरंजन का रूप भी देता है।
कविताओं में झलकता है ज्ञान का स्वर
डॉ. अंबिका श्रीवास्तव ने कक्षा 1 से 5 तक की सभी हिंदी कविताओं का स्वर वाचन स्वयं की आवाज़ में रिकॉर्ड किया, जिन्हें विद्यालय में क्यूआर कोड के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है। अब बच्चे इन कोड्स को स्कैन कर अपनी अध्यापिका की आवाज़ में कविताएं सुनते हैं — वही आवाज़, जो उन्हें रोज़ कक्षा में प्रेरित करती है।
लयबद्ध उच्चारण और स्वर की मधुरता के कारण बच्चे न सिर्फ कविताएं कंठस्थ कर रहे हैं, बल्कि उनमें भाषा के प्रति प्रेम भी जाग रहा है। यह पहल बच्चों की सुनने, बोलने और स्मरण शक्ति को निखारने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
विज्ञान और संगीत का संगम
डॉ. अंबिका सिर्फ भाषा की ही नहीं, बल्कि विज्ञान की भी गहरी समझ रखती हैं। उनके मार्गदर्शन में विद्यालय के विद्यार्थियों ने कई वैज्ञानिक मॉडल तैयार किए, जिनमें से कई को जिला स्तर पर सराहना मिली। उनका मानना है कि "विज्ञान केवल प्रयोगशाला की वस्तु नहीं, बल्कि जीवन का अनुभव है।"
वहीं संगीत के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। उन्होंने संगीत पुस्तिका “सुधा-1” और “सुधा-2” में लेखन कार्य किया है, जो अब प्रदेश के कई विद्यालयों में प्रयोग की जा रही हैं। उन्होंने शिक्षा को "संगीतमय" बनाकर यह दिखाया कि लय, ताल और स्वर से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और सीखना सहज होता है।
एआई के माध्यम से शिक्षा में नया प्रयोग
डॉ. श्रीवास्तव वर्तमान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के सहारे अपने रिकॉर्ड किए गए कविताओं को वीडियो रूप में बदलने का कार्य कर रही हैं। यह कदम शिक्षा को डिजिटल युग से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा नवाचार है। उनके प्रयास से ग्रामीण परिवेश के बच्चे अब तकनीक की भाषा समझ रहे हैं और उसमें निपुण हो रहे हैं।
नारी सशक्तिकरण और शिक्षित समाज की पहचान
डॉ. अंबिका श्रीवास्तव आज उस नई शिक्षिका की प्रतीक हैं, जो सिर्फ ज्ञान नहीं बांटतीं, बल्कि सोचने की स्वतंत्रता और करने का साहस भी देती हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि नारी केवल घर की नहीं, समाज और राष्ट्र निर्माण की भी आधारशिला है।
उनकी पहल से विद्यालय के बच्चे वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते हुए संगीत, कला और प्रौद्योगिकी के समन्वय से समग्र विकास की ओर अग्रसर हैं।
डा अंबिका श्रीवास्तव की मुख्य विशेषताएं (Highlights):
- शिक्षा में नवाचार का अनोखा संगम- संगीत, विज्ञान और तकनीक का सुंदर मेल।
-डॉ. अंबिका की आवाज़ में रिकॉर्ड कविताएं अब बच्चों की सीखने की साथी बनीं।
- “सुधा-1” और “सुधा-2” पुस्तिकाओं में रचनात्मक लेखन से शिक्षा में नई दिशा।
- एआई तकनीक से कविताओं को वीडियो में बदलने का प्रयोग — डिजिटल शिक्षा का नया अध्याय।
- तीन बार ICT प्रतियोगिता में जनपद स्तर पर चयन, नवाचार का निरंतर सम्मान।
डॉ. अंबिका श्रीवास्तव की कहानी केवल एक शिक्षिका की उपलब्धि नहीं, बल्कि नारी सशक्तिकरण और शिक्षित समाज की प्रेरक गाथा है। उन्होंने दिखाया है कि जब शिक्षा में संगीत, विज्ञान और तकनीक एक साथ चलते हैं, तो बच्चे सिर्फ पढ़ते नहीं — सीखते हुए खिलते हैं।
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