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शाहजहांपुर के एसएस कालेज परिसर में आयोजित रामाश्रम सत्संग में साधना में लीन संत व आचार्य Photograph: (वाईबीएन)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाताः रामाश्रम सत्संग (मथुरा) के तीन दिवसीय आंतरिक सत्संग समारोह के तीसरे सत्र में आचार्यों व संतों ने गुरू महिमा और आत्मज्ञान पर विशेष जोर दिया। लखनऊ से पधारे आचार्य केसी श्रीवास्तव जी ने कहा कि गुरुसत्ता के पावन दरबार में बैठने का अवसर बड़े ही भाग्य से मिलता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गुरु अपने प्रकाश से भक्तों के हृदय को पावन बनाते हैं, यश और वैभव से नहीं। हम सब गुरु के बुलावे से ही इस दरबार में आते हैं। जब गुरु का प्रकाश हमारी बुद्धि और मस्तिष्क पर पड़ता है, तब अनर्थ विचार हटकर उत्तम विचार आते हैं।
मुमुक्षु आश्रम स्थित स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय के खेल मैदान में आयोजित सत्संग समारोह में श्रीवास्तव ने गुरू के अलावा ईश्वर प्राप्ति का अन्य कोई उपाय नहीं है। जब हम ईश्वर से अलग होते हैं, तो यह जन्म और मृत्यु का अनवरत चक्र चलता रहता है। उन्होंने कहा कि हमें यह भ्रम हो गया है कि हम इस संसार को चलाने वाली शक्ति हैं, जबकि ईश्वर न कोई शक्ति है और न कोई नाम। संतजन एवं गुरु महाराज हमारे इस भ्रम को दूर कर उस असीम शक्ति (ईश्वर) से मिलने का मार्ग बतलाते हैं।
गुरु के कहने पर पं मिहीलाल ने छोड दी सरकारी नौकरी, अग्रसर हो गए परमार्थ पथ पर
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उन्होंने पं. मिहीलाल जी का उदाहरण दिया, कहा कि जिन्होंने गुरु के प्रति अपने समर्पण को चरितार्थ किया। गुरु के कहने मात्र से उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और परमार्थ पथ पर अग्रसर हो गए। श्रीवास्तव जी ने बताया कि गुरु महाराज ने हम सबको एक सरल साधना दी है। इस साधना में साधक को केवल द्रष्टा बनकर बैठना है। अपने इष्ट को प्रकाश स्वरूप देखते हुए यह विचार करना है कि प्रकाश की धारा निकलकर हमारे हृदय में समा रही है और हम धीरे-धीरे उस प्रकाश में लय होते जा रहे हैं। इस निरंतर साधना से हमारे अन्तर मन की मलिनता समाप्त होकर निर्मलता प्राप्त होती है।
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गुरु साक्षात ईश्वर
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ग्वालियर से पधारें आचार्य प्रदीप शर्मा जी ने गुरु को साक्षात ईश्वर बताया, कहा कि गुरू आत्मा को प्रकृति से ऊपर उठा देते हैं। उन्होंने आत्मज्ञान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एक पौराणिक कथा का जिक्र किया, जिसमें ऋषि अष्टावक्र ने एक राजा को आत्मज्ञान का बोध कराया था। इसके पश्चात, टूण्डला से पधारे पूज्य शिवनाथ शर्मा जी ने प्रसादार्पण करते हुए कहा कि ऐसे दिव्य दरबार में आना बड़े सौभाग्य की बात है। उन्होंने भक्तों को संदेश दिया कि हमें गुरु से हमेशा उनकी दया और कृपा ही मांगनी चाहिए, जिससे हमारा कल्याण हो सके।
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इंसेट
एकत्व, प्रियत्व व समत्व का संगम बना सत्संग
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रामाश्रम सत्संग... एकता, प्रेम, भाईचारा व सहकार भाव का अदभुत संगम बन गया है। यहां जब एक साथ महिलाएं रोटी की लोई काटने, बेलने व उन्हें सेंकने के साथ ही प्यार से परोसती हैं, तो भारतीय संस्कृति की अदभुत छटा निखर जाती है। विविध जिलो व प्रांतों से आए साधक दुनियादारी छोड प्रभु की भक्ति में लीन है। यहां भक्ति के साथ ही प्रेम बरस रहा है।
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प्रश्नोत्तर सत्र के साथ समापन आज
एसएस कालेज परिसर में आयोजित रामाश्रम सत्संग का सोमवार को समापन होगा। इस दौरान प्रश्नोत्तर सत्र में विविध क्षेत्रों से आए साधकों के जिज्ञासाओं व समस्याओं को संत व गुरू प्रभु दयाल शर्मा व कृष्णकांत शर्मा सुन समाधान सुझाएंगे। सत्संग के दौरान भी बडी साधकों ने व्यक्तिगत भेंटकर उनसे उपाय जाना।
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