मेडिकल कालेज में जहरीली गैस की दुर्गंध से भगदड़, अफसर बोले कुछ नहीं हुआ, जो मौत हुई उसकी वजह बीमारी
शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कालेज में गैस रिसाव की अफवाह से मची भगदड़ में एक व्यक्ति की मौत हो गई। हालांकि मौके पर पहुंचे प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने कहा मरीजों को प्रभावित करने वाला कुछ नहीं हुआ। जो मौत हुई वह बीमारी की वजह से हुई है।
राजकीय मेडिकल कालेज में गैस रिसाव की अफवाह से मची भगदड़ ने दो लोगों की जान ले ली। लेकिन प्रशासन के अधिकारी मात्र कोरी अफवाह बता रहे हैं। वहीं मेडिकल कालेज के प्राचार्य कह रहे हैं कि मौतें दोनों बीमारी की वजह से हुई हैं। जोकि पहले से ही आक्सीजन पर थे, उनके फेफड़े डेमेज थे। ऐसे में मेडिकल कालेज प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
राजकीय मेडिकल कालेज में रविवार को दोपहर करीब साढ़े तीन बजे अफवाह फैलती है कि आग लग गई है। आग लगने की सूचना अकेले तीमारदारों ने नहीं फैलाई नर्सिंग और मेडिकल स्टाफ के कर्मचारी ही तीमारदारों को भागने के लिए बोल रहे थे। कुछ तीमारदारों ने यह भी कहा कि कहीं धुआं और लपटें तो दिख नहीं रही हैं, यह कैसी आग लगी है। लेकिन इससे पहले कोई कुछ सुनता लोग अपने-अपने मरीजों को लेकर भागने लगे। गिरते-गिराते लोग जैसे तैसे मेडिकल कालेज से बाहर निकले और मैदान में आ गए। भगदड़ में कोई बिलख रहा था तो जारजार रो रहा था। मरीजों को अस्पताल से बाहर निकालने में किसी मेडिकल स्टाफ ने मदद नहीं की। अगर प्रशासन अस्पताल में लगे सीसीटीवी की फुटेज देख ले तो सच्चाई सामने आ जाएगी। तीमारदारों ने बताया कि मजबूरन अधिकांश लोग तो अस्पताल से निकलकर चले गए। यह समझ में नहीं आ रहा है कि यह अफवाह क्यों और किसने फैलाई थी। दो लोंगों की भगदड़ के बाद मौत की बात सामने आई। लेकिन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. राजेश कुमार ने साफ कहा कि मरीज बहुत गंभीर बीमार थे और आक्सीजन पर थे। इस गैस या दुर्गंध से इनकी सेहत पर कोई प्रभाव नहीं है। जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने मेडिकल कालेज की घटना को अफवाह बताया कहा कि स्वभाविक है कि ऐसे में लोग थोड़ा विचलित तो हो ही जाते हैं। मरीज की मौत के सवाल पर जिलाधिकारी ने कहा ऐसा नहीं है फिर भी इसकी जांच कराएंगे।
फार्मेलीन की दुर्गंध से ऐसा होना बता रहा मेडिकल कालेज प्रबंधन
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गैस की दुर्गंध के प्रभाव को खत्म करने के लिए छिड़काव करते फायर कर्मी। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
मेडिकल कालेज प्रबंधन का कहना है कि ओटी में सफाई कार्य के लिए फार्मेलीन का इस्तेमाल होता है। इसी फार्मेलीन के फैलने से आंखों में तीव्र जलन और तीखी गंध फैलने से ऐसा हुआ। जिस मात्रा में फार्मेलीन थी उसी वजह से ज्यादा दिक्कत होना बताया जा रहा है। लेकिन कई सवाल खड़े हो रहे हैं। माना जा रहा है कि जब रविवार को ओटी बंद थी तो फार्मेलीन का किसने फैला दिया जो कुछ देर में ही गंध फैल गई और भगदड़ मच गई।
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तीमारदार झूठे, केवल मेडिकल कालेज प्रबंधन सच्चा
राजकीय मेडिकल कालेज प्रबंधन कितना सच्चा है यह बात प्राचार्य के स्पष्टीकरण से लग रही है। अगर फार्मेलीन भी फैली तो कैसे फैली। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। जब फार्मेलीन जैसी जहरीली और खतरनाक रसायन ऐसे गैर जिम्मेदाराना ढंग से रख दिया गया तो इसके लिए भी तो कोई जिम्मेदार होगा। इस मामले में साफ पल्ला झाड़ने के बजाए निष्पक्ष जांच की जरूरत है। ताकि जो भी दोषी हो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। क्योंकि भगदड़ से कोई भी विकराल स्थिति पैदा हो सकती थी। तीमारदारों ने कैसे अपने मरीज मेडिकल कालेज से बाहर निकाले उनके साथ स्टाफ ने गलत व्यवहार किया। खुले आसमान के नीचे पड़े मरीज परेशान दिख रहे थे। कुछ तो निजी अस्पतालों में चले गए, लेकिन गरीब मरीजों के सामने मजबूरी थी।
अस्पताल के बाहर पड़े भर्ती किए गए मरीज। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
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अस्पताल के बाहर पड़े भर्ती मरीज। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)