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UPSC Result 2024ः शकील के आईपीएस बनने की सफलता में छिपा है संयुक्त परिवार

संयुक्त परिवार आज के दौर में भले ही लोग पसंद नहीं कर रहे हों, लेकिन यूपीएससी की परीक्षा पास करके आईपीएस बने शकील अहमद की सफलता का राज संयुक्त परिवार में ही छिपा हुआ है। आइये संयुक्त परिवार के बारे में शकील की मां से जानते हैं कुछ खास बातें-

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Narendra Yadav
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शाहजहांपुर

मां नफीसा और आईएएस बने शकील मंसूरी। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

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शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता

कल्पना कीजिए कि आप एक बड़े, खुशहाल घर में रहते हैं वहां हमेशा हंसी-मजाक होती है, रसोई से स्वादिष्ट खुशबू आती है और परिवार के बहुत से सदस्य आस-पास रहते हैं। हर कोई एक-दूसरे की मदद करता है और एक-दूसरे की देखभाल करता है। बच्चे न केवल माता-पिता बल्कि दादा-दादी, चाची, चाचा और चचेरे भाई-बहनों के प्यार से बड़े होते हैं। यह एक आरामदायक, सहायक जगह है, जो हमें सिखाती है कि परिवार खुशी और ताकत लाता है, साथ में बिताया हर पल अनमोल बनाता है। यही संयुक्त परिवार है, जोकि शाहजहांपुर के उपनगर तिलहर निवासी शकील अहमद मंसूरी की यूपीएससी परीक्षा पास करके आईपीएस बनने की सफलता का राज है। 

यूपीएससी में 506वीं रैंक प्राप्त करने वाले शकील अहमद अभी अपने घर नहीं आए हैं। दिल्ली में हैं। लेकिन उनके आईपीएस बनने की सूचना पहुंचने पर परिवार में बेहद खुशी है। हाजी तसब्बुर हुसैन की पत्नी नफीसा को अपने छोटे बेटे शकील अहमद के घर आने का बहुत इंतजार है। नफीसा आज बेहद खुश हैं। यंग भारत न्यूज टीम के पूछने पर कहती हैं कि मेरे सभी बेटे और बहुओं पर उन्हें नाज है। क्योंकि कभी किसी सदस्य के बीच कभी मनमुटाव तक नहीं हुआ। कहती हैं कि शकील की सफलता में हमारा संयुक्त परिवार ही सफलता का राज है। 

छह बेटा हैं चार बहुएं मिल-जुलकर रहते हैं सभी बच्चे

नफीसा कहती हैं कि शकील को सभी भाइयों ने मिलकर पढ़ाया। उसकी पढ़ाई में कभी कोई दिक्कत नहीं आई। सभी भाइयों के लाड़ प्यार से ही शकील को कामयाबी मिली है। छह भाइयों में चार की शादी हो गई है। एक ने शादी की नहीं है, तो छठे सबसे छोटे शकील हैं जिनकी शादी अभी हुई नहीं है। चारों बहुओं के बच्चे मिलकर रहते हैं। हमारा संयुक्त परिवार किसी मिसाल से कम नहीं है। 

शकील भी अपने भतीजे-भतीजियों को बहुत प्यार करता है

नफीसा कहती हैं कि शकील अपने भतीजे भतीजियों को बहुत प्यार करता है। बह उन्हें अच्छी तरह से पढ़ाना चाहता है। जिस तरह से उसे उसके भाइयों ने पढ़ाने लिखाने में मदद की है, ठीक उसी तरह से शकील की भी जिम्मेदारी है कि भतीजे भतीजियों को पढ़ाए-लिखाए। शकील इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाएगा। 

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