शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता
एक छोटे से गांव से निकलकर देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक को पास करना किसी साधारण व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता, लेकिन अगर दृढ़ निश्चय, मेहनत और आत्मविश्वास हो तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। ऐसा ही कर दिखाया है निगोही ब्लॉक के संडा खास गांव निवासी अजय कुमार मिश्र ने, जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में 895वीं रैंक प्राप्त कर अपने गांव, परिवार, और विद्यालय का नाम रोशन कर दिया।
अजय मिश्रा के पिता पंडित विद्यासागर मिश्र एक प्रतिष्ठित आचार्य हैं। पारंपरिक धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़े इस परिवार ने शिक्षा को सर्वोपरि माना और उसी सोच ने अजय को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। अजय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही हीरालाल पुत्तूलाल विद्यालय से प्राप्त की, जहाँ सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने ज्ञान की नींव को मजबूत किया। बचपन से ही मेधावी रहे अजय ने उच्च शिक्षा के लिए बरेली का रुख किया। वहां रहकर उन्होंने पूरी लगन और आत्मनिर्भरता से पढ़ाई की। किसी कोचिंग सेंटर की सहायता लिए बिना उन्होंने स्वयं सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। इस दौरान उन्होंने आरओ/एआरओ, रेलवे, और बिहार कैडर की लोअर पीसीएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं भी पास कीं, लेकिन उनका लक्ष्य था भारतीय प्रशासनिक सेवा ।
अजय मिश्रा की यह सफलता एक लंबी और संघर्षपूर्ण यात्रा का परिणाम है, जिसमें उन्होंने असंख्य कठिनाइयों को पार करते हुए न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे गांव का नाम ऊँचा कर दिखाया। अजय की सफलता की खबर जैसे ही गांव में फैली, संडा खास में उत्सव का माहौल बन गया। ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उनका अभिनंदन किया और मिठाई बांटकर खुशी का इज़हार किया। पूर्व ब्लॉक प्रमुख विनोद अवस्थी, अजय के पिता विद्यासागर मिश्र, भाई सुबोध मिश्र और साथी आशीष अवस्थी ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाइयाँ दीं। गांव के बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों ने अजय की इस सफलता को प्रेरणास्रोत बताया और कहा कि यह साबित करता है कि अगर इरादे मजबूत हों तो गांव की मिट्टी से भी आईएएस निकल सकता है।
गांव के युवा बोले- अजय भैया हमारे रोल मॉडल हैं
संडा खास के युवा अजय मिश्रा को अपना आदर्श मानते हैं। गाँव के ही एक छात्र सूरज ने कहा,अजय भैया ने दिखा दिया कि सफलता के लिए बड़े शहरों या महंगी कोचिंग की ज़रूरत नहीं, ज़रूरत है तो बस कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास की।
शिक्षकों और ग्रामीणों ने दीं शुभकामनाएं
गांव के शिक्षकों ने अजय की उपलब्धि पर गर्व जताते हुए कहा कि उनके जैसे छात्र हमारे स्कूल की पहचान हैं। ग्राम प्रधान ने कहा, हम जल्द ही गांव में एक सम्मान समारोह आयोजित करेंगे, जिसमें अजय को गांव का गौरव बताकर सम्मानित किया जाएगा।
संघर्ष से सफलता तक अजय की कहानी अब बनी प्रेरणा
अजय की यह यात्रा उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। अजय ने यह सिद्ध कर दिया कि जब हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।
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