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विश्व गौरैया दिवस : घर-आंगन की चहचहाहट बचाने का संकल्प

हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस नन्ही चिड़िया के संरक्षण और घटती संख्या के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। गौरैया अब तेजी से विलुप्ति की ओर बढ़ रही है। गौरैया संरक्षण के लिए कराने जैव विविधता को बनाए रखने की जरूरत है।

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Ambrish Nayak
विश्व गौरैया दिवस

गौरैया संरक्षण को दर्शाती तस्वीर Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

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शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता 

 विश्व गौरैया दिवस का महत्व:

20 मार्च को गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत भारतीय पर्यावरणविद् मोहम्मद दिलावर ने की थी, जिन्हें गौरैया संरक्षण के प्रयासों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। इस दिन विभिन्न संस्थाएं और पर्यावरण प्रेमी गौरैया बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं।

1. गौरैया की घटती संख्या के कारण:

शहरीकरण और कंक्रीट जंगल: पुराने पेड़ों की कटाई और प्राकृतिक आवासों की कमी।

मोबाइल टावरों से निकलने वाला रेडिएशन: यह गौरैया के नेविगेशन सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे वे अपने घोंसलों तक नहीं पहुंच पातीं।

कीटनाशकों और रसायनों का उपयोग: खेतों में इस्तेमाल होने वाले रसायन गौरैया के भोजन (कीट-पतंगों) को नष्ट कर रहे हैं।

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खाद्य संकट: पहले के मुकाबले खुले में दाना-पानी रखने की परंपरा खत्म हो रही है, जिससे गौरैया को भोजन नहीं मिल रहा।

घोंसले बनाने की जगह की कमी: पुराने घरों में बनी छोटी दरारें और लकड़ी की छतें अब कंक्रीट के मकानों में बदल गई हैं, जिससे गौरैया को घोंसले बनाने में दिक्कत हो रही है।

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2. गौरैया संरक्षण के उपाय:

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घर-आंगन में दाना-पानी रखना: बालकनी, छत, या खुले स्थानों पर दाना-पानी उपलब्ध कराएं।

प्राकृतिक घोंसले बनाएं: लकड़ी के छोटे घर या मिट्टी के बर्तन में घोंसले बनाने के लिए स्थान दें।

मोबाइल टावरों की संख्या सीमित करें: सरकार और वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे रेडिएशन के दुष्प्रभावों को नियंत्रित करें।

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रासायनिक कीटनाशकों का कम उपयोग: जैविक खेती को बढ़ावा देकर कीटनाशकों के उपयोग को घटाएं।

गौरैया बचाओ अभियान में भाग लें: स्थानीय एनजीओ, स्कूल और पर्यावरण संस्थाओं के साथ मिलकर संरक्षण प्रयासों में सहयोग करें।

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3. सरकार और समाज की भूमिका:

सरकार को चाहिए कि वह गौरैया संरक्षण को नीतिगत प्राथमिकता दे और इसके लिए योजनाएं बनाए। समाज को मिलकर गौरैया बचाने की दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे, जैसे कि बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाना और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना।

गौरैया केवल एक चिड़िया नहीं, बल्कि हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे बचाने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास करने होंगे। यदि हम आज ध्यान नहीं देंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को यह चहचहाहट सुनने को नहीं मिलेगी। आइए, इस विश्व गौरैया दिवस पर हम इसके संरक्षण का संकल्प लें!

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