नई दिल्ली, वाईबीएन स्पोर्ट्स।
साल 2007, जगह इंग्लैंड। कप्तान थे राहुल द्रविड़ और टीम इंडिया के सामने चुनौती थी – 21 साल से इंग्लैंड की धरती पर टेस्ट सीरीज न जीत पाने की। लेकिन इस बार कहानी बदली, किरदार बदले और नतीजा ऐतिहासिक बना। भारत ने तीन मैचों की टेस्ट सीरीज 1-0 से जीतकर क्रिकेट इतिहास में सुनहरा अध्याय जोड़ा।
/young-bharat-news/media/post_attachments/image/upload/f_auto,t_ds_w_1280,q_80/lsci/db/PICTURES/CMS/77900/77925-564577.jpg)
पहला टेस्ट: लॉर्ड्स का थ्रिलर, बारिश बनी भारत की रक्षक
दिन था 19 जुलाई और मैदान था लॉर्ड्स। इंग्लैंड ने पहली पारी में 298 रन बनाए। जवाब में भारत सिर्फ 201 रन ही बना सका। मैच भारत के हाथ से निकलता नजर आ रहा था, लेकिन आखिरी दिन महेंद्र सिंह धोनी और दिनेश कार्तिक की जुझारू बल्लेबाजी और फिर बारिश ने भारत को हार से बचा लिया। यह टेस्ट ड्रॉ रहा, लेकिन संदेश साफ था कि भारत आसानी से हार नहीं मानने वाला। ( ind vs eng)
/young-bharat-news/media/post_attachments/image/upload/f_auto,t_ds_w_480/lsci/db/PICTURES/CMS/78100/78171-245820.jpg)
दूसरा टेस्ट: नॉटिंघम में जहीर का कहर, भारत की शानदार जीत
ट्रेंट ब्रिज में खेले गए दूसरे टेस्ट में जहीर खान का जलवा देखने को मिला। इंग्लैंड पहली पारी में सिर्फ 198 रन पर सिमट गया। भारत ने इसके जवाब में 481 रन बनाकर इंग्लैंड पर दबाव बना दिया। जवाब में इंग्लैंड दूसरी पारी में 355 रन ही बना सका। भारत को सिर्फ 73 रन चाहिए थे, जो उसने आसानी से हासिल कर लिए। भारत ने ये टेस्ट 7 विकेट से जीत लिया। जहीर ने मैच में कुल 9 विकेट लिए और मैन ऑफ द मैच बने।
/young-bharat-news/media/post_attachments/image/upload/f_auto,t_ds_w_960/lsci/db/PICTURES/CMS/78400/78401-872591.jpg)
तीसरा टेस्ट: ओवल में कुंबले का बल्ला बोला, भारत ने सीरीज की मुहर लगाई
ओवल टेस्ट में भारत ने पहली पारी में धमाकेदार 664 रन बनाए। अनिल कुंबले ने अपने करियर का इकलौता टेस्ट शतक (110 रन नाबाद) इसी मैच में लगाया। इसके बाद इंग्लैंड ने भी संघर्ष करते हुए 345 रन बनाए, लेकिन सीरीज बचाने के लिए उनके पास वक्त कम था। मैच ड्रॉ हुआ, लेकिन सीरीज भारत के नाम रही।
/young-bharat-news/media/post_attachments/image/upload/f_auto,t_ds_w_1280,q_80/lsci/db/PICTURES/CMS/78100/78160-168946.jpg)
क्यों खास थी ये सीरीज?
भारत ने इंग्लैंड में 1986 के बाद पहली बार टेस्ट सीरीज जीती। जहीर खान पूरे दौरे के सबसे खतरनाक गेंदबाज साबित हुए। अनिल कुंबले ने बल्ले और गेंद दोनों से कमाल किया। सचिन, द्रविड़, गांगुली और लक्ष्मण जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने टीम को मजबूती दी। यह जीत भारतीय क्रिकेट के आत्मविश्वास को नई ऊंचाई देने वाली साबित हुई। इस सीरीज में जहीर खान को 'प्लेयर ऑफ द मैच' चुना गया।