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Farokh Engineer: इस भारतीय खिलाड़ी के नाम होगा मैनचेस्‍टर का स्‍टैंड, लंकाशायर देगा खास सम्‍मान

भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर फारुख इंजीनियर और वेस्टइंडीज के दिग्गज क्लाइव लॉयड को लंकाशायर काउंटी क्लब द्वारा सम्मानित किया जाएगा। मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रेफर्ड स्टेडियम में उनके नाम पर स्टैंड का नामकरण होगा।

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Suraj Kumar
Farokh engineer
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन स्‍पोर्ट्स।टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर बल्‍लेबाज फारुख इजीनियर को ECB बोर्ड बड़ा सम्‍मान देने जा रहा है। मैनचेस्‍टर के ओल्‍ड ट्रेफर्ड स्‍टेडियम में उनके नाम पर एक स्‍टैंड का नामकरण किया जाएगा। उनके अलावा वेस्‍टइंडीज के दिग्‍गज खिलाड़ी क्‍लाइव लॉयड को भी यह सम्‍मान दिया जाएगा। काउंटी क्‍लब लंकाशायर ने इसकी घोषणा की। यह सम्‍मान भारत और इंग्‍लैंड के  बीच चौथे टेस्‍ट मैच के दौरान दिया जाएगा। 87 साल के फारुख इंजीनियर ने लगभग एक दशक तक लंकाशायर क्‍लब के लिए खेला। वेस्‍टइंडीज के पूर्व कप्‍तान 80 वर्षीय क्‍लाइव ने भी दो दशक तक इस क्‍लब के लिए योगदान दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्‍टैंड का नामकरण समारोह 23 जुलाई से शुरु होने वाले टेस्‍ट के पहले दिन हो सकता है। 

Farokh Engineer - Life and times of India's most dashing cricketer

175 मुकाबलों में किया लंकाशायर का प्रतिनिधित्‍व 

1968 से 1976 के बीच फारुख इंजीनियर ने लंकाशायर के लिए 175 मुकाबलों में 5,942 रन बनाए, 429 कैच लपके और 35 स्टंपिंग की। विकेटकीपर-बल्लेबाज इंजीनियर ने भारत के लिए 46 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 31.08 की औसत से 2,611 रन बनाए, साथ ही 66 कैच और 16 स्टंपिंग भी की। वेस्टइंडीज के दो बार के विश्व कप विजेता कप्तान क्लाइव लॉयड ने 1970 के दशक की शुरुआत में लंकाशायर में विदेशी खिलाड़ी के तौर पर कदम रखा और क्लब की किस्मत ही बदल दी।

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फारुख ने लंकाशायर को जितवाया खिताब 

मुंबई में जन्मे इंजीनियर ने जब लंकाशायर के लिए पदार्पण किया, तब क्लब बीते 15 वर्षों से कोई बड़ा खिताब नहीं जीत पाया था। लेकिन उनकी मौजूदगी में क्लब ने 1970 से 1975 के बीच चार बार जिलेट कप अपने नाम किया। इंजीनियर और लॉयड इस सप्ताह के अंत में लंकाशायर के इतिहास में स्थायी सम्मान प्राप्त करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि इंजीनियर के नाम पर ब्रेबॉर्न स्टेडियम, जहां उन्होंने अधिकांश क्रिकेट खेला, में आज तक कोई स्टैंड नहीं है। पुरानी यादों को साझा करते हुए इंजीनियर ने क्लब की वेबसाइट पर कहा था, “वो अविश्वसनीय समय था। ओल्ड ट्रैफर्ड एक शानदार जगह थी, जहां लोग हमें देखने के लिए दूर-दूर से आते थे।” उन्होंने बताया, “ड्रेसिंग रूम से वॉरिक रोड रेलवे स्टेशन साफ दिखाई देता था। भीड़ से भरी ट्रेनें आती थीं, और उतरते लोगों की बातें, खुशी और हंसी की आवाज़ें साफ सुनाई देती थीं।”

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