नई दिल्ली, वाईबीएन स्पोर्ट्स।भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कुछ जीतें ऐसी होती हैं, जो सिर्फ स्कोरकार्ड में नहीं, बल्कि क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में दर्ज होती हैं। ऐसी ही एक यादगार जीत साल 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत ने दर्ज की थी, जब सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने विदेशी सरजमीं पर अंग्रेजों को उनके घर में धूल चटाई थी। 22 अगस्त 2002 को लीड्स के हेडिंग्ले मैदान पर खेले गए इस टेस्ट में भारत ने न सिर्फ मैच जीता बल्कि एक ऐसा संदेश दिया, जिसने भारतीय क्रिकेट के तेवर बदल दिए।
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भारत के तीन बल्लेबाजों ने जमाए शतक
यह जीत भारतीय बल्लेबाजों के दम पर आई थी। खास बात ये थी कि भारत के तीन सबसे बड़े बल्लेबाज — राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली तीनों ने इस टेस्ट में शतक जड़े। टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 628/8 रनों पर अपनी पहली पारी घोषित की।
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राहुल द्रविड़ ने शानदार 148 रन बनाए, तो वहीं कप्तान गांगुली ने 128 रनों की यादगार पारी खेली। लेकिन सबसे बड़ी और शानदार पारी सचिन तेंदुलकर के बल्ले से निकली, जिन्होंने 193 रन ठोक दिए। सचिन का ये शतक उस समय और भी खास था क्योंकि वे अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ दौर में थे और विदेशी जमीन पर ऐसा खेल दिखाना उनके जज्बे का प्रतीक था।
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पारी और 46 रनों से दी शिकस्त
भारत के इस विशाल स्कोर के बाद इंग्लैंड पर दबाव साफ दिख रहा था। इंग्लैंड की पहली पारी महज 273 रनों पर सिमट गई। भारत ने फॉलोऑन थोप दिया और दूसरी पारी में भी इंग्लैंड सिर्फ 309 रन ही बना पाया। भारत ने ये टेस्ट पारी और 46 रन से जीत लिया। इस जीत ने यह साबित कर दिया कि भारत अब विदेशों में सिर्फ टक्कर देने नहीं, बल्कि जीतने के इरादे से जाता है। भारत की इस जीत में अनिल कुंबले की गेंदबाजी का भी बड़ा हाथ रहा। कुंबले ने इस टेस्ट में कुल 7 विकेट लेकर इंग्लिश बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी थी। उनके अलावा हरभजन सिंह ने भी अहम मौके पर विकेट निकाले।
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इस जीत की सबसे बड़ी खासियत सिर्फ रन या विकेट नहीं थे, बल्कि वो आत्मविश्वास था जो सौरव गांगुली की कप्तानी में इस टीम में नजर आ रहा था। गांगुली ने टीम इंडिया को आक्रामकता का पाठ पढ़ाया और खिलाड़ियों में यह भरोसा भरा कि वे किसी भी मैदान पर जीत सकते हैं। लीड्स टेस्ट उस बदले हुए भारतीय क्रिकेट की शुरुआत था, जो आगे चलकर भारत को टेस्ट क्रिकेट में विदेशी धरती पर बड़ी जीतों का स्वाद चखाएगा।
ड्र्रॉ रही ये सीरीज
चार मैचों की इस टेस्ट सीरीज में भारत और इंग्लैंड 1-1 से बराबरी पर रहे, लेकिन तीसरे टेस्ट में मिली इस जीत ने भारत को मानसिक बढ़त दिला दी थी। ये वही दौर था जब भारतीय टीम विदेशी धरती पर सम्मान और आत्मविश्वास के साथ क्रिकेट खेलने लगी थी।
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