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नई दिल्ली, वाईबीएन स्पोर्ट्स। 2018 में इंग्लैंड दौरे के तीसरे टेस्ट में जब भारतीय टीम नॉटिंघम के ट्रेंट ब्रिज मैदान पर उतरी, तो दबाव विराट कोहली पर सबसे ज्यादा था। पिछली सीरीज (2014) में इंग्लैंड में उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था, जहां उन्होंने पांच टेस्ट मैचों में कुल 134 रन बनाए थे। लेकिन इस बार कोहली पूरी तरह बदले हुए अंदाज में नजर आए। उन्होंने न सिर्फ बल्ले से जवाब दिया, बल्कि एक कप्तान के रूप में भी अपनी टीम को जीत की पटरी पर ला खड़ा किया।
विराट को मिला रहाणे का साथ
पहली पारी में कोहली ने शानदार बल्लेबाज़ी की। उन्होंने संयम और आत्मविश्वास के साथ इंग्लैंड के गेंदबाज़ों का सामना किया और 97 रनों की बेमिसाल पारी खेली। हालांकि वे सिर्फ तीन रन से अपना शतक चूक गए, लेकिन इस पारी ने भारत की मजबूत शुरुआत की नींव रख दी। अजिंक्य रहाणे के साथ उनकी शतकीय साझेदारी भारत को पहली पारी में 329 रनों तक ले गई। इंग्लैंड के गेंदबाज़ों के लिए कोहली की तकनीक और शॉट सेलेक्शन एक बार फिर चुनौती बन गया था।
दूसरी पारी में कोहली ने वही अधूरा काम पूरा किया। इस बार उन्होंने कोई चूक नहीं की और 103 रनों की शतकीय पारी खेली। उनका ये शतक बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि तब तक मैच संतुलन में था। इस पारी के दौरान उन्होंने पिच की परिस्थितियों को बखूबी पढ़ा और इंग्लैंड के अनुभवी गेंदबाज़ों को कड़ा जवाब दिया। पारी के अंत में भारत ने 352/7 पर डिक्लेरेशन की और इंग्लैंड के सामने 521 रनों का विशाल लक्ष्य रखा।
जसप्रीत बुमराह ने तोड़ी इंग्लैंड की कमर
इस लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम भारतीय गेंदबाज़ों के सामने टिक नहीं पाई और पूरी टीम 317 रन पर सिमट गई। जसप्रीत बुमराह ने दूसरी पारी में 5 विकेट लेकर अंग्रेज़ बल्लेबाज़ों की कमर तोड़ दी, जबकि हार्दिक पंड्या ने पहली पारी में 5 विकेट चटकाकर अपनी उपयोगिता साबित की थी। भारत ने यह टेस्ट मैच 203 रनों से जीत लिया और कोहली को उनकी शानदार बल्लेबाज़ी के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।
विराट सीरीज में बनाए सबसे अधिक रन
इस टेस्ट मैच में विराट कोहली ने दो पारियों में कुल 200 रन (97 और 103) बनाए और इस पूरी सीरीज में उन्होंने सबसे अधिक 593 रन बनाए। उन्होंने 59.30 की औसत से रन बनाते हुए एक शतक और तीन अर्धशतक लगाए। इस प्रदर्शन ने उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज भी बना दिया। यह कोहली की मानसिक और तकनीकी मजबूती का प्रमाण था। उन्होंने ना सिर्फ 2014 के दाग धोए, बल्कि यह साबित कर दिया कि वे विश्व क्रिकेट के सबसे बड़े मंच पर, सबसे कठिन परिस्थितियों में भी बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं।
नॉटिंघम टेस्ट सिर्फ एक जीत नहीं थी, यह कोहली की वापसी की कहानी थी—एक ऐसा जवाब, जो उन्होंने आलोचकों को बल्ले से दिया। ट्रेंट ब्रिज की यह पारी न सिर्फ कोहली के करियर का टर्निंग प्वाइंट बनी, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए एक प्रेरणास्रोत भी। इस पारी ने यह भी साबित किया कि विराट कोहली केवल रन मशीन नहीं, बल्कि एक फाइटर हैं—जो गिरकर और भी ताकत से खड़ा होता है।
ind vs eng | Tendulkar–Anderson Trophy