नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई सीरीज द ग्रेटेस्ट राइवलरी: इंडिया वर्सेस पाकिस्तान, भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को लेकर मैदान पर छिड़ी जंग की कहानी बताती है। साल दर साल दोनों देशों के अहम मुकाबलों और खिलाड़ियों की कहानियां इस सीरीज में देखने को मिलती हैं। इस सीरीज में भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के स्टार खिलाड़ियों और उनके समय के दबदबे को दिखाने का भी प्रयास किया गया है। यह सीरीज दो प्रमुख दौरों पर आधारित है - 1999 में पाकिस्तान का भारत दौरा और 2004 में भारत का पाकिस्तान दौरा, लेकिन इसका दायरा इन दो घटनाओं से परे है, जो क्रिकेट प्रतियोगिता के मधुर और कड़वे दोनों तरह के संबंधों को सामने रखता है। शुक्रवार को नेटफ्लिक्स पर इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज का प्रीमियर किया गया। यह डॉक्यूमेंट्री भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता पर आधारित है। इस डॉक्यूमेंट्री को चंद्रदेव भगत और स्टीवर्ट सुग ने डायरेक्ट किया है।
'द ग्रेटेस्ट राइवलरी' क्यों है खास?
इसके अलावा 'द ग्रेटेस्ट राइवलरी' में पूर्व क्रिकेटर्स - वीरेंद्र सहवाग, सौरव गांगुली, सुनील गावस्कर, वकार यूनिस, जावेद मियांदाद, रविचंद्रन अश्विन, इंजमाम-उल-हक और शोएब अख्तर के इंटरव्यू हैं, जिसमें ये क्रिकेटर अपना अनुभव साझा करते नजर आ रहे हैं। ये साक्षात्कार इस बात का स्पष्ट दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं कि इस हाई-रिस्क वाले खेल का हिस्सा होने का क्या मतलब है। साथ ही इस बातचीत से समझ आता है कि कैसे खेल की तीव्रता अक्सर इसके आसपास के राष्ट्रवादी उत्साह के साथ धुंधली हो जाती है। उदाहरण के लिए, सहवाग 2004 में शोएब अख्तर का सामना करने के मानसिक तनाव को याद करते हुए कहते हैं कि अख्तर के खिलाफ खेलना "एक राक्षस का सामना करने" जैसा था, और मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत अधिक नुकसानदेह था।
सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड की कमी खलीं
विशेष रूप से, डॉक्यूमेंट्री से सचिन तेंदुलकर को बाहर करना एक चूके हुए अवसर की तरह लगता है। 2004 के मुल्तान टेस्ट में तेंदुलकर की भूमिका, जिसमें उन्होंने 194* रन बनाए थे, का उल्लेख तक नहीं किया गया है। जहां सहवाग के तिहरे शतक का जश्न मनाया गया है, वहीं तेंदुलकर की पारी को बाहर करना, जिसमें उनके दोहरे शतक से सिर्फ छह रन दूर होने पर पारी घोषित कर दी गई थी, उसे ना दिखाना एक बड़ी चूक है। एक और बेहद खलने वाली अनुपस्थिति राहुल द्रविड़ की है, जो 2004 के उस दौरे के दौरान कप्तान थे।
डॉक्यूमेंट्री को मिले कमजोर रिव्यू
डॉक्यूमेंट्री को रिलीज होने के बाद लोगों से इसे मिले-जुले रिव्यू दिए है। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इस सीरीज की तारीफ की है। वहीं कुछ लोगों ने इसे कमजोर बताया है। कमजोर मानने वाले लोगों ने दलील दी है कि इसमें सीक्वेंस की भारी कमी है। साथ ही खिलाड़ियों को हीरो बताने वाले फैसले के साथ भी पूरी तरह न्याय नहीं किया गया है। सीरीज में सौरभ गांगुली को भी कॉमेंट्रेटर के तौर पर नजर आ रहे हैं। बीते दिनों नेटफ्लिक्स ने इसका ट्रेलर रिलीज किया गया था जिसे लोगों ने काफी पसंद किया था। अगर आप भी क्रिकेट की इस जर्नी को जीना चाहते हैं तो नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं।