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नई दिल्ली, वाईबीएन स्पोर्ट्स।साल 1971 में अजीत वाडेकर की अगुवाही में टीम इंडिया इंग्लैंड दौरे पर गई। इस दौरे पर टीम को तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी थी। सीरीज का पहला टेस्ट लंदन के एतिहासिक मैदान लॉर्ड्स में खेला गया था। इस मैच में भारतीय बल्लेबाज सुनील गावस्कर को इंग्लिश तेज गेंदबाज जॉन स्नों ने मैदान पर धक्का दे दिया। इस घटना पर जमकर बवाल हुआ। आखिरकार जॉन स्नो को अगले मैच से बाहर कर दिया।
जॉन स्नो ने सुनील गावस्कर को दिया धक्का
लॉर्ड्स टेस्ट का आखिरी दिन था। टीम इंडिया को इंग्लैंड की धरती पर अपना पहला टेस्ट जीतने के लिए 183 रनों की जरुरत थी। लंच ब्रेक से पहले भारत का स्कोर 47/2 था। फारुख इंजीनियर क्रीज पर थे और सामने थे तेज गेंदबाज जॉन स्नो। फारुख ने जॉन की गेंद को शॉर्ट लेग की तरफ खेला और रन लेने के लिए दौड़ पड़े। क्रीज के दूसरे छोर पर मौजूद सुनील गावस्कर सिंगल लेने के लिए दौड़ पड़े। गावस्कर एक रन के लिए बेताब थे और स्नो उनके आगे बढ़ने से पहले गेंद को पकड़ने के लिए बेताब थे, तभी दोनों एक-दूसरे से टकरा गए। रीप्ले से पता चलता है कि स्नो ने गावस्कर को धक्का दिया था, जिसके कारण वह गिर गए और इस दौरान उनके हाथ से बल्ला भी छूट गया। इसके बाद जब वह क्रीज पर पहुंचे तो स्नो ने उनसे मांफी मांगने के बजाय उनको बल्ला भी फेंककर दिया।
जॉन स्नो को मिली कड़ी सजा
इस घटना का सभी ने जमकर विरोध किया। हालाँकि लंच ब्रेक के तुरंत बाद स्नो गावस्कर से माफी मांगने को तैयार हो गए, लेकिन कुछ अधिकारियों की अत्याधिक आलोचना से वे नाराज हो गए। गुस्से में स्नो ने फिर गावस्कर से माफ़ी न माँगने का फ़ैसला किया, जिससे मामला और बिगड़ गया। जिससे कारण उनको अगले मैच से बाहर कर दिया गया। जॉन एक इंटरव्यू में कहते हैं कि '' "मैं बस उन्हें रन आउट करने के लिए गेंद उठाने की कोशिश कर रहा था। मैंने सुनील से माफ़ी मांगी, लेकिन ड्रेसिंग रूम में हंगामा मच गया क्योंकि मैं भारतीय ड्रेसिंग रूम में माफ़ी मांगने नहीं गया, जबकि मैंने चयन समिति के अध्यक्ष एलेक बेडसर से कहा था कि मैं माफ़ी मांग लूँगा। हम [गावस्कर और वह] इस मामले को सुलझा चुके थे।''
भारत ने इंग्लैंड में जीती पहली सीरीज
इस मैच की बात करें, तो इंग्लैंड ने इस मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और पहली पारी में 304 रन बनाए। इसके जवाब में टीम इंडिया ने 313 रन बनाए। दूसरी पारी में इंग्लैंड 191 पर ऑलआउट हो गई। दूसरी पारी में भारत ने 8 विकेट के नुकसान पर 145 रन बनाए और यह मैच ड्रॉ हो गया। हालांकि वाडेकर की कप्तानी में भारत ने यह 1-0 से अपने नाम की। यह पहला मौका था जब टीम इंडिया ने इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीती।
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