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नई दिल्ली, वाईबीएन स्पोर्ट्स।क्रिकेट प्रेमी अक्सर ये मानते हैं कि 83 के वर्ल्ड कप ने भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदल दिया। लेकिन इस जीत की तैयारी वर्ल्ड कप से पहले हो चुकी थी, जब भारत ने कपिल देव की कप्तानी में वेस्टइंडीज को उसके घर में ही धूल चटा दी। 1983 के वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया वेस्टइंडीज के दौर पर गई। इस दौरे पर टीम को पांच टेस्ट और तीन वनडे मैचों की सीरीज खेलने थी। वनडे सीरीज के दूसरे मैच में कपिल देव ने महज 38 गेंदों में 72 रनों की पारी खेली। इस पारी में कपिल देव ने 7 चौके और तीन गगनचुम्बी छक्के लगाए। उस समय यह वनडे मैच का सबसे तेज अर्धशतक था। कपिल देव की ये पारी इस बात का एलान थी कि भारत ने अपना अंदाज बदल लिया है।
वेस्टइंडीज में गूंजी कपिल देव की धूम
वेस्टइंडीज दौरे के लिए कपिल देव को कप्तान बनाया गया था। उस समय कपिल की उम्र महज 24 साल की थी। इस दौरे का पहला वनडे मैच पोर्ट ऑफ स्पने में खेला गया था। भारत को इस मैच में 52 रनों से हार का सामना करना पड़ा। कपिल देव इस मैच में शून्य पर आउट हो गए। इसके बाद दूसरा मैच गुयाना के एल्बियन में खेला गया। वेस्टइंडीज ने पहले टॉस जीतकर गेंदबाजी करने का फैसला किया। 47 ओवर के इस मैच में भारत ने 5 विकेट के नुकसान पर 282 रन बनाए। इस मैच में लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर ने 117 गेंदों में 90 रनों की शानदार पारी खेली। 283 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी वेस्टइंडीज 9 विकेट के नुकसान पर 255 रन ही बना सकी। कपिल ने बल्ले के अलावा गेंदबाजी से कमाल दिखाते हुए 2 विकेट अपने नाम किए। इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया।
नए युग की शुरुआत
यह मैच भारत क्रिकेट के लिहाज से इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत की यह लिमिटेड ओवर में पहली जीत थी। हालांकि टीम इंडिया ये सीरीज 2-1 से हार गई। इससे पहले टीम इंडिया वेस्टइंडीज दौरे पर अपना रिकॉर्ड सुधारने जाती थी। वेस्टइंडीज उस दौर की सबसे खतरनाक टीम मानी जाती थी, जिसमें मैलकम मार्शल और विवि रिचर्ड जैसे खिलाड़ी शामिल थे। इस दौर के बाद भारत ने वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज को हराया, जो इंग्लैंड में खेला गया था।