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Explainer: बुमराह मैनचेस्‍टर टेस्‍ट खेलेंगे या नहीं? ऐसे तय होता है खिलाड़ियों का वर्क लोड मैनेजमेंट

भारत और इंग्‍लैंड के बीच तीसरा टेस्‍ट मैच 23 जुलाई से मैनचेस्‍टर में खेला जाएगा। वर्क लोड मैनेजमेंट के चलते इस मैच में बुमराह के खेलने पर सस्‍पेंस बना हुआ है। आज हम जानेंगे कि वर्क लोड मैनेजमेंट का फैसला कौन करता है?

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Suraj Kumar
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन स्‍पोर्ट्स।भारत और इंग्‍लैंड के बीच टेस्‍ट सीरीज का चौथा मैच मैनचेस्‍टर में खेला जाएगा। यह मैच 23  जुलाई से शुरु होगा। भारतीय क्रिकेट प्रेमी इस बात को लेकर उत्‍सुक हैं कि बुमराह चौथा टेस्‍ट मैच खेलेंगे या नहीं। सीरीज शुरु होने से पहले मैनेजमेंट ने कहा था कि बुमराह इस दौरे पर सिर्फ तीन टेस्‍ट मैच ही खेलेंगे। लॉर्ड्स में खेले गए तीसरे टेस्‍ट मैच में टीम इंडिया को 22 रनों से हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में टीम इंडिया के ऊपर सीरीज हारने का खतरा मंडराने लगा है। बुमराह को लेकर अक्‍सर चर्चा होती है क्‍योंकि वे टीम का अहम हिस्‍सा हैं। लेकिन चोटों से जूझते बुमराह को वर्कलोड मैनेमेंट के चलते सिर्फ तीन टेस्‍ट मैच खेलने की अनुमति दी गई। टीम इंडिया के असिस्टेंट कोच रयान टेन डोशेट ने हाल ही में मोहम्मद सिराज के वर्कलोड मैनेजमेंट के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि वह लगातार लंबे स्पेल फेंकते हैं और टीम के लिए महत्वपूर्ण हैं। आज हम जानेंगे कि ये वर्कलोड मैनेजमेंट तय कैसे होता ? इसके पीछे कौन काम करता है? 

तेज गेंदबाजों के लिए जरूरी है वर्कलोड मैनेजमेंट

भारतीय क्रिकेट टीम ही नहीं, बल्कि दुनियाभर की टीमों के लिए 'वर्कलोड मैनेजमेंट' का मतलब है खिलाड़ियों खासकर तेज गेंदबाजों पर पड़ने वाले शारीरिक और मानसिक दबाव को संतुलित रखना। यह खासतौर पर उन खिलाड़ियों के लिए अहम होता है जो टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों फॉर्मेट खेलते हैं। इसका मकसद उन्हें फिट और चोट से दूर रखना है, ताकि वे बड़े टूर्नामेंटों में पूरी तैयारी और तरोताजगी के साथ खेल सकें। भारतीय टीम में वर्कलोड मैनेजमेंट एक जटिल लेकिन बेहद जरूरी प्रक्रिया है। इसमें बीसीसीआई, नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA), चयनकर्ता, कोच और टीम मैनेजमेंट मिलकर काम करते हैं। उनका मुख्य फोकस यह रहता है कि खिलाड़ी फिट रहें, चोट से बचे रहें और लंबे समय तक अच्छा प्रदर्शन कर सकें। हर खिलाड़ी की फिटनेस, खेल की फॉर्मेट और इंटरनेशनल शेड्यूल को ध्यान में रखकर उनका वर्कलोड प्लान किया जाता है। यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।

बीसीसीआई कैसे करता है वर्कलोड मैनेजमेंट का फैसला?

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बीसीसीआई खिलाड़ियों के वर्कलोड मैनेजमेंट को लेकर फैसला कई पहलुओं पर विचार करके करता है। इसमें खिलाड़ी की फिटनेस, मौजूदा प्रदर्शन, चोट का इतिहास और आगामी टूर्नामेंट का महत्व शामिल होता है। नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA), जो बेंगलुरु में स्थित है, खिलाड़ियों की फिटनेस, रिकवरी और वर्कलोड डेटा पर लगातार नजर रखती है। यह एक केंद्रीकृत डेटा सिस्टम तैयार करता है जिसमें हर खिलाड़ी की फिटनेस रिपोर्ट और प्रगति दर्ज होती है। जनवरी 2023 में हुई समीक्षा बैठक के बाद बीसीसीआई ने यह तय किया कि NCA 20 संभावित खिलाड़ियों की फिटनेस और वर्कलोड की निगरानी करेगा, जिन्हें आगामी वनडे वर्ल्ड कप के लिए तैयार किया जा रहा है। वर्कलोड से जुड़ा कोई भी फैसला अकेले नहीं लिया जाता। इसमें टीम के मुख्य कोच, कप्तान और चयन समिति के सदस्य (मुख्य रूप से चीफ सेलेक्टर) मिलकर निर्णय लेते हैं। जैसे कि हाल ही में तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के मामले में, उनके वर्कलोड को देखते हुए तय किया गया कि वह इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में से केवल तीन मैच ही खेलेंगे, ताकि उनकी फिटनेस बनी रहे और वह लंबे समय तक टीम के लिए उपलब्ध रहें।

क्यों जरूरी है वर्कलोड मैनेजमेंट?

1. चोटों से बचाव:
लगातार क्रिकेट खेलने से खासकर तेज गेंदबाजों पर काफी दबाव पड़ता है, जिससे उन्हें चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है। वर्कलोड मैनेजमेंट खिलाड़ियों को जरूरी आराम और रिकवरी का समय देता है, जिससे चोट से बचा जा सकता है।

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2. प्रदर्शन में स्थिरता:
जब खिलाड़ी थके होते हैं तो वे अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पाते। वर्कलोड को सही तरीके से मैनेज करने से खिलाड़ी मानसिक और शारीरिक रूप से तरोताजा रहते हैं, जिससे उनका प्रदर्शन लगातार अच्छा बना रहता है।

3. बड़े टूर्नामेंट की तैयारी:
टी20 वर्ल्ड कप, वनडे वर्ल्ड कप और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जैसे महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों से पहले खिलाड़ियों को फिट और तैयार रखना जरूरी होता है। इसके लिए वर्कलोड मैनेजमेंट अहम भूमिका निभाता है।

हर खिलाड़ी के लिए अलग जरूरत

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सभी खिलाड़ियों का वर्कलोड एक जैसा नहीं होता। तेज गेंदबाजों जैसे जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज को खास निगरानी की जरूरत होती है क्योंकि वे ज्यादा शारीरिक मेहनत करते हैं। ऑलराउंडर और तीनों फॉर्मेट में खेलने वाले खिलाड़ी भी इस निगरानी में आते हैं। कई बार खिलाड़ी फिट होने के बावजूद उन्हें कुछ मैचों से ब्रेक दिया जाता है ताकि वे अगले मैचों के लिए पूरी तरह तरोताजा रहें।

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