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नई दिल्ली, वाईबीएन स्पोर्ट्स। Fide विमेंस वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल मैच का पहला गेम शनिवार को हम्पी और दिव्या देशमुख के बीच ड्रॉ रहा। दिव्या देशमुख ने 25 चालों के भीतर जीतती नजर आईं, लेकिन हम्पी ने गेम को ड्रॉ करवा दिया। यह पहली बार है जब इस शतरंज टूर्नामेंट के फाइनल में दो भारतीय खिलाड़ी आमने-सामने हैं। फाइनल का दूसरा गेम रविवार 27 जुलाई को खेला जाएगा। इस मुकाबले में हम्पी सफेद मोहरों से खेलेंगी। यदि यह मुकाबला भी बराबरी पर रहा, तो विजेता का फैसला टाईब्रेकर में कम समय की बाजियों के जरिए होगा। वर्ल्ड इस रैपिड चैंपियन हम्पी का पलड़ा भारी माना जा रहा है। दो गेम के इस क्लासिकल शतरंज फॉर्मेट में अगले और अंतिम गेम में हम्पी को सफेद मोहरों का फायदा मिलेगा।
हम्पी ने टाई ब्रेकर के लेई को हराया
गुरुवार को खेले गए टाईब्रेकर मुकाबले की शुरुआत में लेई ने बढ़त बना ली। पहले दोनों क्लासिकल गेम ड्रॉ रहे, जिसके बाद 15-15 मिनट की दो बाजियाँ टाईब्रेकर के तहत खेली गईं। लेई ने पहली बाजी जीतकर शुरुआती बढ़त हासिल की, लेकिन हम्पी ने दबाव में रहते हुए दूसरी बाजी जीतकर मुकाबले को फिर से बराबरी पर ला दिया। इसके बाद 10-10 मिनट के तीसरे सेट में हम्पी ने सफेद मोहरों से खेल की शुरुआत की और हर विभाग में लेई पर दबदबा बनाते हुए बाजी अपने नाम कर ली। इस जीत के साथ फाइनल में पहुंचने के लिए उन्हें अगली बाजी में सिर्फ ड्रॉ की जरूरत थी, लेकिन उन्होंने उसे जीत में बदलते हुए फाइनल में प्रवेश कर लिया।
दिव्या ने पूर्व विश्व चैंपियन तान झोंग्यी को दी मात
19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल में पूर्व वर्ल्ड चैंपियन तान झोंग्यी को 1.5-0.5 के अंतर से हराया। पहले गेम में सफेद मोहरों से खेलते हुए दिव्या ने 101 चालों में जीत दर्ज की। उन्होंने बीच के खेल में लगातार दबाव बनाकर झोंग्यी को गलतियां करने के लिए मजबूर कर दिया। दूसरे गेम में भी दिव्या को सफेद मोहरों से खेलने का फायदा मिला। एक मौके पर क्वीन की अदला-बदली से वह सीधे जीत की स्थिति में आ सकती थीं, लेकिन उन्होंने क्वीन को बोर्ड पर बनाए रखते हुए भी अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखी। हालांकि, झोंग्यी ने कुछ देर के लिए वापसी की और बढ़त भी हासिल की। लेकिन समय की कमी के दबाव में झोंग्यी ने निर्णायक गलती कर दी, जिससे दिव्या को दो प्यादों की बढ़त मिल गई। अंतिम क्षणों में झोंग्यी के पास ड्रॉ के कुछ मौके थे, लेकिन वह उन्हें भुना नहीं सकीं, और इस तरह दिव्या ने मुकाबला अपने नाम कर लिया।