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Sachin tendulkar क्रिकेट के 'भगवान' सचिन नहीं संभाल पाए कप्तानी का बोझ

9 अगस्त 1996 एक यादगार दिन है, जब महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को पहली बार टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया उन्होंने दो बार टीम की कप्तानी की पहली बार 1996 से 1997 तक और दूसरी बार 1999 से 2000 तक लेकिन टीम का प्रदर्शन कमजोर रहा और उन्हें कप्तानी छोड़नी पड़ी।

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YBN News
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मुंबई, आईएएनएस। क्रिकेट के इतिहास में कई तारीखें यादगार होती हैं, लेकिन 9 अगस्त 1996भारतीय क्रिकेट के लिए खास महत्व रखती है। इसी दिन महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को पहली बार भारतीय क्रिकेट टीम की कमान सौंपी गई थी। 23 साल 169 दिन की उम्र में कप्तान बनने वाले सचिन उस समय केदूसरे सबसे युवा भारतीय कप्तान बने, उनसे पहले यह रिकॉर्ड मंसूर अली खान पटौदी के नाम था।

एक महान बल्लेबाज पर असफल कप्तान

सचिन तेंदुलकर का नाम क्रिकेट के हर रिकॉर्ड में दर्ज है। उन्होंने बल्लेबाजी में ऐसे मुकाम हासिल किए हैं, जिनके आस-पास भी पहुंचना आसान नहीं। लेकिन जब बातकप्तानी की होती है, तो सचिन का यह अध्याय थोड़ी निराशा भी देता है।

सचिन ने 1989 में 16 साल की उम्र में भारतीय टीम में डेब्यू किया था। शुरुआती वर्षों में ही उन्होंने अपनी प्रतिभा से दुनिया को चौंका दिया। साल 1996 तक वे न केवल टीम के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज बन चुके थे, बल्कि उनमें एक नेता की संभावनाएं भी देखी जाने लगी थीं। और फिर आया वो दिन – 9 अगस्त 1996 – जब उन्हें आधिकारिक तौर पर भारतीय टीम का कप्तान घोषित किया गया।

पहला कार्यकाल: उम्मीदें और हकीकत

कप्तान बनने के बाद तेंदुलकर के कंधों पर न सिर्फ रन बनाने की जिम्मेदारी थी, बल्कि पूरी टीम को दिशा देने की भी। लेकिन सचिन का पहला कार्यकाल खास सफल नहीं रहा।इस दौरान टीम का प्रदर्शन कमजोर रहा। रणनीतियों में स्पष्टता की कमी दिखी और टीम लगातार मैच हारती रही। आखिरकार दिसंबर 1997 में तेंदुलकर ने कप्तानी से इस्तीफा दे दिया। उस समय क्रिकेट जानकारों का कहना था कि कप्तानी ने उनके खेल पर भी असर डाला।

दूसरा कार्यकाल और अंत

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1999 के वनडे वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।अजहरुद्दीन की कप्तानी में भारत जल्दी टूर्नामेंट से बाहर हो गया। इसके बाद एक बार फिर सचिन कोकप्तानी सौंपी गई, उम्मीद की गई कि अबकी बार वह टीम को संभाल लेंगे। लेकिन यह कार्यकाल भी ज्यादा लंबा नहीं चला। निरंतर हार, टीम के अंदरूनी असंतुलन और दबाव के कारण सचिन ने2000 में कप्तानी छोड़ने की इच्छा जताई। इसके बाद सौरव गांगुली ने कमान संभाली और एक नई टीम इंडिया की नींव रखी।

आंकड़े बताते हैं हकीकत

तेंदुलकर ने अपने दो कप्तानी कार्यकालों में भारत के लिए 25 टेस्ट और 73 वनडे मैचों में कप्तानी की।

टेस्ट में: 4 जीत, 9 हार, 12 ड्रॉ

वनडे में: 23 जीत, 43 हार, 6 नो रिज़ल्ट

यह आंकड़े साफ करते हैं कि कप्तानी सचिन के लिए सबसे मजबूत भूमिका नहीं थी।

तेंदुलकर को था क्रिकेट के 'भगवान' का दर्जा

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कप्तानी भले ही उनके लिए उपयुक्त न रही हो, लेकिन बतौर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने वह ऊंचाइयां छुईं, जो आज भी हर खिलाड़ी का सपना हैं।

200 टेस्ट, 329 पारियां: 51 शतक, 68 अर्धशतक, 15,921 रन

463 वनडे, 49 शतक, 96 अर्धशतक, 18,426 रन

एकमात्र टी20 इंटरनेशनल - 10 रन

तेंदुलकर आज भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन और शतक बनाने वाले खिलाड़ी हैं।

सचिन तेंदुलकर ने यह साबित किया कि हर महान खिलाड़ी एक सफल कप्तान नहीं बनता। लेकिन यह भी उतना ही सच है कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट को जो योगदान दिया, वह अनमोल है। उनकी बल्लेबाजी ने करोड़ों भारतीयों को उम्मीद दी, गर्व दिया, और क्रिकेट को धर्म बना दिया।

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9 अगस्त 1996 का दिन एक यादगार मोड़ था जब क्रिकेट का सबसे चमकता सितारा नेतृत्व की जिम्मेदारी लेने आगे आया। भले ही कप्तानी का सफर छोटा और उतार-चढ़ाव से भरा रहा हो, लेकिन तेंदुलकर का नाम भारतीय क्रिकेट की आत्मा में हमेशा के लिए दर्ज हो गया।  sachin tendulkar | biopic of sachin tendulkar | Cricket news | Cricket News Hindi | Cricket Superstar

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