/young-bharat-news/media/media_files/2025/09/04/cbse-scholarship-6-2025-09-04-13-33-03.png)
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत-चीन सीमा के करीब बसे अरुणाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव सरली की 12 वर्षीय बालिका मिली याबी ने अपनी मेहनत, संकल्प और भारतीय सेना के मार्गदर्शन से वह उपलब्धि हासिल की है, जिसका सपना हजारों बच्चे देखते हैं। मिली को सैनिक स्कूल ईस्ट सियांग में प्रवेश मिला है और वह सीमावर्ती इलाकों से आने वाले बच्चों के लिए प्रेरणा की मिसाल बन गई हैं।
कठिन परिस्थितियाें में भी संजोते हैं सपने
सरली गांव जो ईटानगर से लगभग 350 किलोमीटर दूर और सीमांत क्षेत्र में स्थित है, की आबादी मात्र 1,500 के आसपास है। यहां बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी और कठिन भौगोलिक परिस्थितियां हैं। इसके बावजूद यहां के बच्चे भारतीय सेना को देखकर सशस्त्र बलों में करियर बनाने का सपना संजोते हैं। इसी सपने को साकार करने के लिए भारतीय सेना की स्पीयर कॉर्प्स ने मई 2024 में एक विशेष मेंटोरशिप प्रोग्राम की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य था सीमावर्ती क्षेत्रों के होनहार बच्चों को सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा के लिए तैयार करना। इस कार्यक्रम के तहत कक्षा 5वीं और 8वीं के 33 विद्यार्थियों को चुना गया।
बच्चों ने प्रदेश के राज्यपास की मुलाकात
सितंबर 2024 से अप्रैल 2025 तक चले प्रशिक्षण में विद्यार्थियों को 88 क्लास, 18 मॉक टेस्ट और विस्तृत परामर्श सत्र कराए गए। बच्चों को इंटीग्रेशन o मोटिवेशनल टूर पर भी ले जाया गया, जहां उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल से मुलाकात की और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का भ्रमण किया। सेना ने इस दौरान न सिर्फ बच्चों की डॉक्यूमेंटेशन में मदद की, बल्कि प्रवेश परीक्षा के लिए ईटानगर तक पहुंचाने की भी जिम्मेदारी उठाई। इस अथक प्रयास का अभूतपूर्व परिणाम सामने आया और 33 में से 32 बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा उत्तीर्ण की। फिलहाल चल रही काउंसलिंग प्रक्रिया के बीच, मिली याबी ने पहली चयनित उम्मीदवार बनकर सैनिक स्कूल ईस्ट सियांग में प्रवेश प्राप्त किया। इन्हीं में से पहली सफलता मिली मिली याबी को, जिन्हें सैनिक स्कूल ईस्ट सियांग में दाखिला मिला है। सेना को उम्मीद है कि आगे की काउंसलिंग प्रक्रिया में 4 से 6 और बच्चे सैनिक स्कूलों में प्रवेश पा सकते हैं।
युवाओं की इच्छाशक्ति और क्षमता का प्रतीक
भारतीय सेना ने इस उपलब्धि को सीमा क्षेत्र के युवाओं की इच्छाशक्ति और क्षमता का प्रतीक बताया है। सेना का कहना है कि यदि सही मार्गदर्शन और संसाधन मिलें, तो सरली जैसे सुदूर गांवों से भी सैन्य अधिकारी निकल सकते हैं, जो एक दिन एनडीए, खड़कवासला में दाखिला लेकर देश की सेवा कर सकते हैं। यह एक साल की सतत पहल सिर्फ एक छात्रा की कहानी नहीं, बल्कि सेना के "नेशन फर्स्ट" विजन और राष्ट्र निर्माण की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। मिली की सफलता न सिर्फ सरली गांव, बल्कि पूरे अरुणाचल प्रदेश के लिए गौरव और उम्मीद की किरण बन चुकी है। Arunachal Pradesh News | India China border issue
Advertisment