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Gurugram में कला के माध्यम से बच्चों के आत्मबल की अनोखी पहल, कला देती है आत्मबल और दिशा

गुरुग्राम के सिविल लाइन स्थित स्वतंत्रता सेनानी हॉल में "क्रिएटिव माइंड्स, हीलिंग हार्ट्स" नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों को कला के माध्यम से आत्मबल और भावनात्मक सशक्तिकरण प्रदान करने का प्रयास किया गया।

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Ranjana Sharma
Pan Singh Tomar (4)
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गुरुग्राम, वाईबीएन डेस्‍क: गुरुग्राम के सिविल लाइन स्थित स्वतंत्रता सेनानी हॉल में बुधवार को एक खास कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य था समाज के कमजोर तबके से जुड़े बच्चों को कला के माध्यम से आत्मबल और भावनात्मक सशक्तिकरण प्रदान करना। ‘क्रिएटिव माइंड्स, हीलिंग हार्ट्स’ नामक इस पहल की शुरुआत उपायुक्त अजय कुमार ने की और इस मौके पर उन्होंने बच्चों को सम्मानित भी किया।
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चार महीने की पायलट परियोजना

डीसी अजय कुमार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, कला एक ऐसाप्रभावशाली माध्यम है, जो बच्चों की कल्पनाशक्ति, आत्मविश्वास और सामाजिक जुड़ाव को मजबूती देता है। प्रशासन ऐसे प्रयासों का स्वागत करता है जो बच्चों को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने का अवसर देते हैं। चार महीने की एक पायलट परियोजना है, जो दो आश्रय गृहों में चलाई जा रही है। इसका उद्देश्य ऐसे बच्चों को मंच देना है जो निराश्रित, अस्थायी आवास वाले या दैनिक मजदूरी पर जीवन गुजारने वाले परिवारों से आते हैं। कला के ज़रिए बच्चों को आत्म-अभिव्यक्ति, भावनात्मक स्थिरता और रचनात्मक सोच विकसित करने में मदद दी जा रही है।

कला के जरिए संवेदनशील संवाद

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इस पहल की अगुआई कर रही हैं कलाग्राम की निदेशक और प्रशिक्षित कला चिकित्सक शिखा गुप्ता, जिन्होंने बताया कि “कला को एक उपचारात्मक संवाद के रूप में देखा गया है। बच्चों के लिए यह न केवल अपनी भावनाएं व्यक्त करने का जरिया है, बल्कि आंतरिक शक्ति विकसित करने का माध्यम भी है। कार्यक्रम में कहानी कहने, रंगमंच और दृश्य कला जैसी विधाओं के ज़रिए बच्चों को अपनी बात कहने का अवसर मिला। इसमें थिएटर फैसिलिटेटर मुस्कान और फरमान, आर्ट फैसिलिटेटर पंकज खन्ना और नीरा कथूरिया, तथा प्रोग्राम कंसल्टेंट अपर्णा जोशी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बच्चों को मिली उम्मीद की उड़ान 

बालिका आश्रय गृह की अधीक्षक स्मिता बिश्नोई ने बताया कि अब बच्चे सप्ताहांत का बेसब्री से इंतजार करते हैं। ये दो घंटे उनके लिए केवल कला का नहीं, बल्कि राहत और आत्मबल का समय न गए हैं। कार्यक्रम की सफलता में अर्थ फाउंडेशन की निदेशक नीलम सूद, प्रतिनिधि मीनू सूद और आश्रय गृहों की समर्पित टीमों का महत्वपूर्ण योगदान रहा
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