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बिहार में पुलों को लगा भ्रष्टाचार का जंग ! जानें क्यों दो साल में गिर गए 20 से ज्यादा पुल

बिहार में गुरुवार को आई तेज आंधी और भारी बारिश ने तबाही मचा दी। राज्य भर में अलग-अलग जगहों पर आंधी-बारिश के कारण अब तक कम से कम 23 लोगों की जान जा चुकी है। जानमाल की इस क्षति में कई लोग पेड़, दीवार और पुल गिरने जैसी घटनाओं के शिकार हुए।

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Ranjana Sharma
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बिहार में गुरुवार को आई तेज आंधी और भारी बारिश ने तबाही मचा दी। राज्य भर में अलग-अलग जगहों पर आंधी-बारिश के कारण अब तक कम से कम 23 लोगों की जान जा चुकी है। जानमाल की इस क्षति में कई लोग पेड़, दीवार और पुल गिरने जैसी घटनाओं के शिकार हुए। नालंदा जिले से आई खबरों के मुताबिक कई लोगों ने बारिश से बचने के लिए पुलों के नीचे शरण ली थी, लेकिन कमजोर ढांचे गिर पड़े, जिससे उनकी मौत हो गई।

पुल गिरने की घटनाएं बनीं मौत का कारण

यह कोई पहली बार नहीं है जब बिहार में पुल गिरने से जानें गई हों। पिछले दो वर्षों (2023–2024) में राज्य में लगभग 20 से अधिक पुल ढहने की घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से कई घटनाएं निर्माणाधीन पुलों से जुड़ी थीं, जबकि कुछ पुराने पुलों की जर्जर स्थिति भी हादसों की वजह बनी। बार-बार पुलों के गिरने की घटनाएं अब महज हादसे नहीं रह गई हैं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की गवाही देने लगी हैं। लोगों की जान सिर्फ प्राकृतिक आपदा से नहीं, सरकारी तंत्र की असफलता से भी जा रही है।
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पिछले दो वर्षों की प्रमुख घटनाएं

  • मार्च 2023, सुपौल: कोसी नदी पर बन रहे पुल का एक हिस्सा गिरा, जिससे एक मजदूर की मौत हुई।
  • जून 2023, खगड़िया: गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा ढहा। यह प्रोजेक्ट लगभग ₹1,700 करोड़ की लागत का था।
  • 2023, बेगूसराय: बूढ़ी गंडक नदी पर बना एक पुल गिरा।
  • जून-जुलाई 2024: अररिया, सिवान, सारण, किशनगंज और मधुबनी जिलों में 10 से अधिक छोटे-बड़े पुल गिरने की घटनाएं दर्ज की गईं।
  • 3 जुलाई 2024: सिवान और सारण में एक ही दिन में 5 से अधिक पुलों का ढह जाना सबसे बड़ा अलार्मिंग मामला रहा।
    अगस्त 2024, भागलपुर: सुल्तानगंज-अगवानी गंगा पुल का हिस्सा फिर से गिरा। यह पुल पहले भी 2022 और 2023 में क्षतिग्रस्त हो चुका था।

  • क्यों गिर रहे हैं पुल?
  • भारी बारिश और बाढ़ के कारण मिट्टी का कटाव।
  • पुरानी संरचनाओं का जर्जर होना।
  • निर्माण में लापरवाही और घटिया सामग्री का इस्तेमाल।
  • रखरखाव की अनदेखी और निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप।
  • जनहानि की स्थिति
  • हालांकि अधिकतर घटनाएं निर्माणाधीन पुलों से जुड़ी थीं, जिससे बड़ी जनहानि नहीं हुई, लेकिन फिर भी सुपौल जैसे मामलों में मजदूरों की मौत की पुष्टि हुई है।
  • गुरुवार की घटना ने यह साफ कर दिया कि सरकारी निगरानी और ढांचागत सुरक्षा में भारी खामियां हैं।
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