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Bihar Election -NDA के लिए गले की हड्डी बने चिराग, जानें भाजपा की मजबूरी और लोजपा का सियासी समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर सियासी खींचतान तेज हो गई है। एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान, जो लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं, अब विधानसभा चुनाव में 40 सीटों की मांग कर रहे हैं।

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Deepak Gaur
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बिहार, वाईबीएन डेस्‍क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार , दोनों ही आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सूबे में चुनावी हवा एनडीए के पक्ष में करने के लिए सियासी रणनीतियां बना रहे हैं। अभी तक के सियासी मौसम की बात करें तो हवाएं उभी उनके पक्ष में चल भी रही हैं, लेकिन एनडीए के अहम घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी और उनके मुखिया चिराग पासवान की सियासी डिमांड एनडीए के लिए गले की फांस बन गई है। आलम ये है कि एनडीए के भीतर चिराग पासवान की सियासी डिमांड को लेकर हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा है। भाजपा और जेडीयू के लिए समस्या यह है कि वह न तो चिराग को एनडीए से बाहर ही करने की स्थिति में हैं और न ही चिराग की सियासी डिमांग को पूरा करने के लिए तैयार। बिहार के सियासी रण में अब  रणनीतियों के तहत जहां महागठबंधन नीतीश कुमार सरकार को SIR के मुद्दे पर घेरने की जुगत में लगी हुई है , वहीं एनडीए अभी अपने भीतर की हलचल को सामान्य करने में लगा है। तो ये सियासी हलचल क्या है , आखिर क्यों एनडीए चिराग पासवान को लेकर पशोपेश की स्थिति में है। आखिर क्या समीकरण है जो चिराग की डिमांड को पूरा नहीं कर सकते और आखिर वो क्या समीकरण है कि चिराग को एनडीए से बाहर का रास्ता भी नहीं दिखाया जा सकता।

लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से उत्साहित

एनडीए के लिए गले की फांस बन चुके चिराग पासवान की। असल में एनडीए में भाजपा  जदयू के साथ लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) , जिसके मुखिया अब चिराग पासवान हैं , उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जीतनराम मांझी की हम पार्टी हैं। बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर घमासान मचे होने की खबरें आ रही हैं। सीटों के बंटवारे को लेकर सबसे ज्यादा नाराजगी चिराग पासवान की बताई जा रही है। असल में चिराग पासवान लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से उत्साहित हैं और इस बार 243 सीटों में से 40 सीटें अपने लिए मांग रहे हैं। अब चिराग की यह सियासी डिमांड की एनडीए के लिए सिरदर्द बन गया है। अगर सियासी आंकड़ों के अनुसार बात करें तो भाजपा-जदयू उन्हें मात्र 20-25 सीटों के करीब ही देने की स्थिति में हैं। इससे ज्यादा सीट देने पर उनके लिए उपेंद्र कुशवाह और मांझी को सीटें देने में समस्या आएगी।

एनडीए के समीकरण कुछ बदले हुए हैं

सबसे पहले बात करते हैं बिहार में एनडीए के बड़े भाई यानी नीतीश कुमार की जदयू की पिछली बार यानी 2020 के विधानसभा चुनावों में जदयू 115 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। वहीं भाजपा 110 सीटों पर यानी दोनों ने आपस में ही 225 सीटें बांट ली थी। शेष बची 19 सीटों में से 7 सीटें मांझी की हम पार्टी को मिली थी और महागठबंधन से नाराज हो कर पिछली बार एनडीए में शामिल हुई वीआईपी यानी मुकेश सहनी को 11 सीटें मिली थीं। पिछली बार चिराग सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर एनडीए की नीति से सहमति नहीं बना पाए थे , इसलिए 134 सीटों पर अकेले ही चुनाव मैदान में उतर गए थे। अब इस बार यानी 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों में एनडीए के समीकरण कुछ बदले हुए हैं। इस बार मुकेश सहनी एनडीए का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन उपेंद्र कुशवाह तीसरे मोर्चे को छोड़ एनडीए के साथ आ गए हैं। इतना ही नहीं पिछली बार चिराग पासवान सीट बंटवारे से नाखुश होकर अलग चले गए थे, लेकिन अभी तक वह एनडीए के ही साथ हैं। इस तरह इस बार एनडीए में अभी पांच दल हैं, जिनके बीच सीटों का बंटवारा होना है।

भाजपा इस 105-102 सीटों के करीब अपने लिए रखेंगी

अब हाल की सीटों का समीकरण यह कहता है कि 243 सीटों में से जदयू और भाजपा इस बार करीब 105-102 सीटों के करीब अपने लिए रखेंगी। शेष बची 36 सीटों में से हम, लोजपा और कुशवाह की पार्टी शामिल हैं। यहां यह गौर करने की बात है कि भाजपा और जदयू इस बार पहले से ही अपनी पिछली बार से कम सीटों पर उतर आई हैं, इससे कम पर ये नहीं जाना चाहतीं। अब ऐसे में चिराग पासवान को अकेले 40 सीटें चाहिएं तो यह कैसे संभव होगा। तो चलिए अब आपको चिराग पासवान की इस सियासी डिमांड का सियासी आधार बता दें, । असल में 2020 के विधानसभा चुनावों में चिराग पासवान 134 सीटों पर उतरे थे और मात्र 1 सीट जीत पाए थे। इसके बाद वह लौटकर फिर से एनडीए का हिस्सा बने और 2024 के लोकसभा चुनावों में 5 में से 5 सीट जीतकर एनडीए के लिए शत प्रतिशत रिजल्ट लाए।

एनडीए के बड़े दल के रूप में उभरकर सामने आई

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इन पांच लोकसभा सीटों की 30 में से 29 विधानसभा सीटों पर उन्हें अच्छी बढ़त मिली थी। अब अपने लोकसभा के प्रदर्शन को देखते हुए चिराग पासवान ने विधानसभा में 40 सीटों की सियासी डिमांड रखी है। चिराग जान रहे हैं कि जिन सीटों पर उनके सांसद बैठे हैं , वहां की 29 सीटों पर तो उनकी अच्छी पैंठ बनी ही हुई है , इसके अलावा वह 10 अन्य विधानसभा सीटों पर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। लेकिन ... लेकिन.... भाजपा और जदयू ... उनकी इस थ्योरी को मानने को राजी नहीं है और उन्हें 40 सीटें देने को राजी नहीं हैं। अगर बात 2020 के विधानसभा चुनावों की भी करें तो उस दौरान चिराग पासवान के एनडीए से अलग होने के चलते जदयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। चिराग ने जदयू के जमकर वोट काटे और इसका परिणाम यह हुआ कि जदयू महज 43 सीटों पर ही सिमट गई थी। जबकि भाजपा 74 सीटों के साथ बिहार में एनडीए के बड़े दल के रूप में उभरकर सामने आई। बहरहाल , अब एनडीए के सीटों के फॉर्मूले को देखें तो उसमें लोजपा के लिए 40 सीटें बनती दिख ही नहीं रही हैं। अगर चिराग 35 सीटों पर आए तो इस स्थिति में हम और उपेंद्र कुशवाह की आरएलएम के लिए पर्याप्त सीटें नहीं बचती। यही कारण है कि एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर काफी तनाव बना हुआ है। असल समस्या यह है कि एनडीए चिराग पासवान को उनकी मनमाफिक सीट दे नहीं सकती और उन्हें एनडीए से बाहर भी नहीं कर सकती।

2020 में चिराग पासवान अकेले ही सियासी मैदान में थे

अगर एनडीए ने चिराग पासवान को अपने गठबंधन से बाहर किया तो उसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। आंकड़ों के अनुसार , बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी का 10 फीसदी के करीब वोट बैंक हैं। चिराग का वोट बैंक दलित और अति पिछड़ा वर्ग है। 2020 के विधानसभा चुनावों में चिराग पासवान अकेले ही सियासी मैदान में थे और उस स्थिति में उन्होंने जदयू को भारी डेंट दिया था। 134 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए चिराग की पार्टी करीब 64 सीटों पर तीसरे स्थान पर या उससे नीचे रही थी। जहां उसके वोटों का नंबर , जीत के अंतर से ज्यादा था। 27 सीटों पर तो सीधे लोजपा ने जदयू को भारी नुकसान पहुंचाया था। ऐसे में चिराग को जहां इस बार अपने साथ बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। chirag paswan | nda 
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