पटना, वाईबीएन संवाददाता
बिहार विधानसभा चुनावसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। वक्फ कानून पर जदयू के समर्थन से नाराज मुस्लिम पदाधिकारी अब खुलकर विरोध में उतर आए हैं। मोतिहारी जदयू के जिला सचिव कलाम खान ने इस्तीफा देकर पार्टी के भीतर मचे बवंडर को और तेज कर दिया।
पार्टी के रुख को मुस्लिम विरोधी बताया
कलाम खान का इस्तीफा पूर्वी चंपारण की राजनीति में एक बड़ा धमाका माना जा रहा है। वह जदयू के एक सक्रिय और प्रभावशाली नेता रहे हैं, जिनकी जिले में मजबूत पकड़ थी। उन्होंने इस्तीफा देने के बाद सीएम नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा और वक्फ कानून पर पार्टी के रुख को मुस्लिम विरोधी बताया।
17 मुस्लिम पदाधिकारी ने जदयू को अलविदा कहा
इस्तीफे का सिलसिला यहीं नहीं रुका। इससे पहले जदयू के जिला प्रवक्ता डॉ. कासिम अंसारी ने स्वास्थ्य प्रकोष्ठ से इस्तीफा दिया था। वहीं ढाका जदयू युवा प्रखंड अध्यक्ष गौहर आलम के नेतृत्व में 15 अन्य पदाधिकारियों ने सामूहिक रूप से पार्टी छोड़ दी थी। अब तक पूर्वी चंपारण जिले से कुल 17 मुस्लिम पदाधिकारी जदयू को अलविदा कह चुके हैं।
इस लगातार हो रहे इस्तीफे की चुभन अब पार्टी नेतृत्व को महसूस होने लगी है। जदयू ने पटना में एक हाई-लेवल मीटिंग बुलाई है, जिसमें बिहार प्रदेश के तमाम वरिष्ठ पदाधिकारियों को शामिल होने का निर्देश दिया गया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो यह मीटिंग बेहद गंभीर और संकटमोचक मानी जा रही है।
नाराजगी आगामी चुनाव में भारी पड़ेगी
मुस्लिम समुदाय का कहना है कि नीतीश कुमार को उन्होंने हमेशा एक सेक्युलर नेता माना और इसी भरोसे उन्होंने शिवहर लोकसभा से लवली आनंद को जिताया था। लेकिन वक्फ बिल पर पार्टी के समर्थन से अब यह भरोसा दरकता नजर आ रहा है। मुस्लिम समाज न केवल नाराज है, बल्कि वक्फ कानून के विरोध में अब सड़कों पर उतरने और आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गया है। बिहार की राजनीति में यह घटनाक्रम बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है। क्या नीतीश कुमार अपने पुराने वोटबैंक को संभाल पाएंगे, या फिर यह नाराजगी आगामी चुनाव में भारी पड़ेगी-यह देखने वाली बात होगी।