कश्मीर,वाईबीएन डेस्क: भारत ने दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल
चिनाब ब्रिज बनाकर सिर्फ
इंजीनियरिंग में कीर्तिमान नहीं रचा, बल्कि आतंक और डर के साये में भी उम्मीद और जज़्बे की एक नई इबारत लिखी है। इस ऐतिहासिक पुल के उद्घाटन के साथ जहां कश्मीर को पूरे भारत से जोड़ने का सपना साकार हुआ वहीं इसके पीछे छुपी है एक ऐसी कहानी, जिसे सुनकर हर भारतीय का सिर गर्व मेहसूस करेगा।
आतंकियों ने मिल रही थी धमकी
इस पुल के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाने वाले अधिकारी निसार अहमद मीर की कहानी न सिर्फ तकनीकी समर्पण की है, बल्कि एक बहादुर भारतीय की है जिसने आतंकियों की धमकियों के बावजूद अपना फर्ज नहीं छोड़ा। निसार अहमद मीर को चिनाब ब्रिज के जमीन अधिग्रहण से लेकर स्थानीय समन्वय तक का अहम जिम्मा सौंपा गया था। यह जिम्मेदारी जितनी तकनीकी थी, उतनी ही सामाजिक और सुरक्षा से भी जुड़ी थी। कश्मीर में काम करना पहले ही कठिन होता है, लेकिन इस प्रोजेक्ट ने मीर को सीधी आतंकी धमकियों के निशाने पर ला दिया।
परिवार को करना पड़ा दूसरी जगह शिफ्ट
धमकियों में साफ कहा गया था कि अगर इस प्रोजेक्ट से पीछे नहीं हटे तो जान से हाथ धो बैठोगे। इन हालातों के चलते निसार को अपना परिवार दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा। उनके बच्चे, पत्नी और परिजन डर के साए में थे, लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। यही नहीं स्थानीय विरोध, धमकियां का सामना करते हुए भी वे डटे रहे।
तीन दशक की निष्ठा, एक ऐतिहासिक पल
निसार अहमद मीर 1996 में रेलवे सेवा में शामिल हुए और तभी से इस प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं। उन्होंने लगभग 30 वर्षों तक इस पुल के हर छोटे-बड़े पहलू पर काम किया। उनकी जिम्मेदारी थी कि रेलवे के लिए ज़मीन उपलब्ध करवाई जाए — जो कश्मीर में, खासकर आतंक प्रभावित इलाकों में, एक अत्यंत जोखिमभरा काम है। उनकी निष्ठा और प्रतिबद्धता ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी डर रास्ता नहीं रोक सकता।
अब कश्मीर तक सीधी ट्रेन एक नया दौर शुरू
चिनाब ब्रिज के चालू हो जाने से कश्मीर को पूरे भारत से सीधी रेल सेवा मिलेगी। यह ब्रिज सिर्फ एक ट्रैक नहीं, बल्कि विकास, विश्वास और विजय की राह है। यह पुल कश्मीर के लिए आर्थिक संभावनाएं बढ़ाएगा, पर्यटन को नई दिशा देगा और सबसे महत्वपूर्ण यह संदेश देगा कि भारत अब आतंकवाद के डर में नहीं, बल्कि आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहा है।
निसार मीर इतिहास में दर्ज नाम
जिस इलाके में आतंकियों की बंदूकें बोलती थीं, वहां अब ट्रेन की सीटी गूंजेगी। निसार अहमद मीर जैसे अफसरों की बदौलत यह संभव हो पाया है। उनका यह योगदान न केवल प्रशंसा का पात्र है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी है। Chenab Bridge