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Delhi Election: जातीय कार्ड से दिल्ली विस चुनाव में मची सियासी हलचल

Delhi Election: वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय के प्रभाववाली 8 में से 3 सीटों पर भाजपा और 5 पर आप को जीत हासिल हुई थी। जाट समुदाय मुख्य रूप से हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रहते हैं।

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Mukesh Pandit
Delhi election

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

दिल्ली में जाट मतदाताओं को लेकर सियासत तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं  अरविंद केजरीवाल के जाट आरक्षण पर ‘लैटर बम’ के बाद भाजपा ने मोर्चा संभाल लिया। भाजपा की ओर से नई दिल्ली से प्रत्याशी और प्रमुख जाट नेता प्रवेश वर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस करके केजरीवाल को निशाने पर लिया और कहा कि उन्हें ऐन चुनाव के मौके पर ही जाटों की याद क्यों आई।  दिल्ली में जाट मतदाताओं की तादाद लगभग दस प्रतिशत है और वे विधानसभा की 8 सीटों पर जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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जाट कितने अहम?

वर्ष 2020 में विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय के प्रभाववाली 8 में से 3 सीटों पर भाजपा और 5 पर आम आदमी पार्टी को जीत हासिल हुई थी, लेकिन इस बार भाजपा ने जाटों को लेकर मजबूत लामबंदी की है। जाट समुदाय मुख्य रूप से हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रहते हैं। दिल्ली में जाट समुदाय की आबादी लगभग 10 फीसदी है। अधिकांश जाट बाहरी दिल्ली में रहते हैं। चुनाव में जाट समुदाय की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। जिन सीटों पर जाट समुदाय काफी मुखर हैं।उनमें नांगलोई, मुंडका, नजफगढ़, बिजवासन और किराड़ी की सीटें शामिल हैं। जाट वोटबैंक को देखते हुए दिल्ली में आप ने 5 सीटों पर इस समुदाय के लोगों को टिकट दिया है। जिन सीटों पर आप ने जाट समुदाय को टिकट दिया है, उनमें मुंडका से जसबीर कराला, नांगलोई से रघुविंदर शौकीन, दिल्ली कैंट से वीरेंद्र कादियान, उत्तम नगर से पूजा नरेश बाल्यान और मटियाला से सुमेश शौकीन का नाम शामिल हैं। भाजपा भी जाटों की लामबंदी में जुटी हुई है। पार्टी ने जाट समुदाय के परवेश वर्मा को केजरीवाल के खिलाफ ही मैदान में उतार दिया है। इसी तरह आप सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलोत को बिजवासन सीट से टिकट दिया गया है।

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जानिए दिल्ली समर में जाट क्यों हैं अहम

2020 के विधानसभा चुनाव में जाट बंट गए थे, जिसके कारण जाट बहुल 3 सीटों पर भाजपा और 5 पर आप को जीत मिली थी। इस चुनाव में आप को 62 और भाजपा को कुल 8 सीटों पर जीत मिली। 2015 में जाटों ने एकतरफा आप को समर्थन दिया था। इसके बूते आप 67 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी।

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क्या थी केजरीवाल की चिट्ठी

आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें जाट समुदाय को केंद्र की पिछड़ा वर्ग सूची (ओबीसी लिस्ट) में शामिल करने की मांग की है। केजरीवाल का कहना है कि केंद्र की ओबीसी लिस्ट में न होने की वजह से दिल्ली के जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग न तो पुलिस की नौकरी में आरक्षण ले पा रहे हैं और न ही दिल्ली विश्वविद्यालय के नामांकन में। अरविंद केजरीवाल की यह चिट्ठी ऐसे वक्त सामने आई है, जब भाजपा ने जाट समुदाय को लेकर आम आदमी पार्टी की मजबूत घेराबंदी कर दी है। समुदाय से आने वाले नेता परवेश वर्मा को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से मैदान में उतारा गया है। पूर्व सांसद प्रवेश के पिता साहब सिंह वर्मा जाट समुदाय के बड़े नेता थे वे केंद्र में मंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर रह चुके थे। वर्ष 2013 के चुनाव में जाट भाजपा की तरफ चले गए थे। 

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