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Air Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा 'खलनायक' बनी पराली, हवा की गुणवत्ता अभी खराब

पराली जलाना दिल्ली में पीएम-2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बनने की संभावना है तथा इसके चलते बृहस्पतिवार को हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच सकती है। वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने यह जानकारी दी। 

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Mukesh Pandit
Delhi Air Quality

दिल्ली में शुक्रवार की सुबह कर्तव्य पथ पर छाई धुंध। एक्स

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। राली जलाना दिल्ली में पीएम-2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बनने की संभावना है तथा इसके चलते बृहस्पतिवार को हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच सकती है। वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने यह जानकारी दी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी वायु गुणवत्ता बुलेटिन के अनुसार,शुक्रवर सुबह शहर में धुंध छाई रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 278 रहा। केंद्र ने पूर्वानुमान लगाया है कि छह से आठ नवंबर के बीच वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच सकती है। 

वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में बनी रहेगी

आगामी छह दिनों के पूर्वानुमान से यह भी संकेत मिलता है कि शहर की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में बनी रहेगी। इस बीच, डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) के अनुसार, दिल्ली में पीएम 2.5 के स्थानीय और बाहरी स्रोतों के दैनिक औसत योगदान का आकलन बताते हैं कि पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण बृहस्पतिवार को दिल्ली के पीएम 2.5 में 21.5 प्रतिशत रहेगा, जो शुक्रवार को बढ़कर 36.9 प्रतिशत और शनिवार को 32.4 फीसदी तक पहुंच सकता है। बुधवार को यह योगदान मात्र 1.2 प्रतिशत था। 

पंजाब में पराली जलाने के 94 मामले

उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों से पता चला कि बुधवार को पंजाब में पराली जलाने के 94 मामले, हरियाणा में 13 और उत्तर प्रदेश में 74 मामले सामने आए। पराली जलाने के बाद, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं दूसरा सबसे बड़ा कारक हो सकता है, जो बृहस्पतिवार को 16.2 प्रतिशत रह सकता है, जबकि यह शुक्रवार को 11.2 फीसदी और शनिवार को 12.3 प्रतिशत हो सकता है। वहीं, हवा की गति धीरे-धीरे बढ़ने की उम्मीद है, जो बृहस्पतिवार दोपहर उत्तर-पश्चिम दिशा से चलेगी और 15 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाएगी, तथा शाम और रात के दौरान इसकी रफ्तार 10 किमी प्रति घंटे से कम हो सकती है। दिल्ली में पिछले दो दिनों से एक्यूआई ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है। 

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दिल्ली का एक्यूआई घट रहा है : पर्यावरण मंत्री 

उधर, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि समन्वित नागरिक प्रयासों के कारण शहर के वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में गिरावट का रुख दिख रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को 9,325 वाहन चालान, 83 ट्रकों के मार्ग परिवर्तन, 454 शिकायतों का समाधान किया गया तथा 2,348 मीट्रिक टन निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट उठाया गया। प्रवर्तन अभियान के तहत दिल्ली की सीमाओं पर 128 अंतरराज्यीय बसों की भी जांच की गई। 

"प्रदूषण के कारण सांस के मरीजों कीसंख्या बढ़ी

"प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण सांस की समस्याओं वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। दरअसल, प्रदूषण अपने आप में कोई बीमारी नहीं पैदा करता, बल्कि किसी भी मौजूदा बीमारी की गंभीरता बढ़ जाती है। खासकर सांस की समस्याओं के मामले में, हमने देखा है कि अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, धूम्रपान से होने वाली समस्याओं या पहले टीबी से पीड़ित मरीजों की गंभीरता में थोड़ी वृद्धि देखी गई है। इसी तरह, हम अपनी श्वसन ओपीडी में भी ऐसे मरीज देख रहे हैं। लेकिन इसके अलावा, त्वचा रोग विशेषज्ञों के पास भी कुछ ऐसे मरीज आ रहे हैं जिनकी त्वचा की एलर्जी बढ़ गई है। ईएनटी में भी साइनसाइटिस के मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। नेत्र रोग ओपीडी में भी लोग आंखों में पानी और लालिमा की समस्या लेकर आ रहे हैं।"

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