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नाले में गिरने से बच्चे की मौत, अफसरों पर भड़के दिल्ली के डिप्टी स्पीकर Mohan Singh Bisht

उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले के खजूरी खास में एक बच्चे की खुले नाले में गिरने से मौत हो गई। बता दें कि करावल नगर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत खजूरी खास की गली नंबर 22 में एक 3 साल का बच्चा शुक्रवार,21 मार्च को खेल रहा था

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Jyoti Yadav
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नाले में गिरने से बच्चे की मौत, अधिकारियों पर भड़के डिप्टी स्पीकर मोहन सिंह बिष्ट
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क

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उत्तर पूर्वीदिल्लीजिले के खजूरी खास में एक बच्चे की खुले नाले में गिरने से मौत हो गई। बता दें कि करावल नगर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत खजूरी खास की गली नंबर 22 में एक 3 साल का बच्चा शुक्रवार,21 मार्च को खेल रहा था और वे खेलते समय खुले नाले में गिर गया। तीन वर्षीय बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो उन्हें जांच के दौरान पता चला कि बच्चे को अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन तब तक उसकी मौत हो गई थी।

प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया

घटना पर स्थानीय लोगों ने बच्चे की मौत के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि अगर नाले के आसपास दीवार होती तो बच्चा उसमें नहीं गिरता और उसकी जान बच सकती थी। फिलहाल खजूरी खास थाना पुलिस ने लापरवाही से मौत का मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

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अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो 

दिल्ली विधानसभा में डिप्टी स्पीकर मोहन सिंह बिष्ट की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि जिनके कारण लापरवाही हुई है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। दिल्ली विधानसभा में डिप्टी स्पीकर मोहन सिंह बिष्ट ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "निश्चित रूप से इस तरह की जो घटनाएं घट रही हैं, वो विभागों की लापरवाही के कारण हो रही हैं। खुले नाले तो इलाके में बहुत पहले से हैं और उस जगह पर दीवार बनाने का काम बाढ़ नियंत्रण विभाग का था। मगर जिन अधिकारियों की वजह से तीन साल के बच्चे की जान गई है, ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।"मोहन सिंह बिष्ट ने आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "आम आदमी पार्टी (आप) का एक ही उद्देश्य रह गया है कि जनता को भ्रमित किया जाए। 

पिछले पांच सालों में नाले में गिरने से मौत 

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हाल के वर्षों में, दिल्ली में खुले नालों के कारण कई दुखद हादसे सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, 2020 में जहांगीरपुरी में दो बच्चों (4 और 6 साल) की नाले में गिरने से मौत हुई। 2024 में, अलीपुर में 5 साल के बच्चे, भजनपुरा में 32 साल के युवक, मुस्तफाबाद में 7 साल के बच्चे और नांगलोई में 14 साल के किशोर की मौत की खबरें दर्ज की गईं। जुलाई 2024 में गाजीपुर में एक मां और उसके बेटे की नाले में डूबने से जान चली गई। इसी तरह, मार्च 2025 में ग्रेटर नोएडा में एक कार के नाले में गिरने से 31 साल के व्यक्ति की मौत हुई। ये केवल कुछ उदाहरण हैं, जो बताते हैं कि यह समस्या बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी आयु वर्ग को प्रभावित कर रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि पिछले पांच साल (2020-2025) में दिल्ली में नाले में गिरने से कम से कम 20-30 मौतें हुई होंगी। यह संख्या वास्तविकता से अधिक हो सकती है, क्योंकि कई घटनाएं रिपोर्ट नहीं होतीं। एनएचआरसी ने 2024 में दिल्ली सरकार और नगर निगम से इस संदर्भ में जवाब मांगा था, जिससे पता चलता है कि समस्या गंभीर है। इन हादसों का मुख्य कारण खुले नाले, अपर्याप्त सुरक्षा उपाय और बारिश के दौरान जलभराव हैं। प्रशासनिक सुधार और जागरूकता की कमी इसे और जटिल बनाती है।

इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नालों को ढकने, चेतावनी संकेत लगाने और नियमित रखरखाव की जरूरत है। जनता की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाना अब अनिवार्य हो गया है।

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